चित्तौड़गढ़. मजबूत इरादे और दृढ इच्छा शक्ति हो तो इंसान हर मुश्किल का सामना आसानी से कर सकता है. चित्तौड़गढ़ में रहने वाले एक युवक जिनकी किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी. संक्रमण के इस दौर में कोरोना के शिकार हो गए. लेकिन संतुलित भोजन, हौसले और नियमित योग की बदौलत उन्होंने कोरोना को मात दी. खास बात यह है कि किडनी ट्रांसप्लांट के कारण उन्हें कोरोना के दौरान दी जा रहीं एलोपैथ की दवाएं और इंजेक्शन भी नहीं दी जा सकती थी. ऐसे में युवक ने योग और आयुर्वेद के सहारे 30 दिन में कोरोना को हराकर जिंदगी की जंग जीत ली. इसमें परिवार का सहयोग भी काफी रहा.
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जानकारी के अनुसार चित्तौडग़ढ़ जिले के बड़ोदिया ग्राम पंचायत के गांव कसाराखेड़ी गांव निवासी राजमल सुखवाल का दो साल पहले जयपुर में मां गीतादेवी की ओर से दी गई किडनी से एसएमएस हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट हुई थी. राजमल दो साल से बिल्कुल स्वस्थ थे और किडनी ट्रांसप्लांट होने से हर महीने जयपुर से ही जांच करवा कर दवाइयां लानी पड़ती थी. इस दौरान राजमल सुखवाल गत 12 अप्रैल क़ो जयपुर दवाई लेने गए. यहां वह कोरोना संकर्मित हो गए. घर आने के बाद 14 अप्रैल को तेज बुखार आ गया.
किडनी ट्रांसप्लांट होने की वजह से यहां की कोई दवा और इंजेक्शन नहीं दिए जा सकते थे. ऐसे में राजमल को परिवारजन जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल ले गए. यहां पर चिकित्सकों ने पहले कोरोना टेस्ट कराने को कहा. टेस्ट कराया तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई और राजमल को आरएचयूएस में भर्ती कराया गया. यहां 5 दिन भर्ती रहने पर बुखार उतर गया और डॉक्टर ने कोई भी इंजेक्शन उन्हें लगाने से मना कर दिया. ऐसा इसलिए क्योंकि किडनी ट्रांसप्लांट होने की वजह से आठ दवाएं पहले से राजमल सुखवाल ले रहे थे. ऐसे में अतिरिक्त दवा देने से किडनी फेल होने का भी खतरा था.चिकित्सक सिर्फ पैरासीटामॉल 500 एमजी और विटामिन की गोलियां के अलावा कोई इंजेक्शन नहीं लग सकता थे. न रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जा सकता था.