चित्तौड़गढ़.जिले में इस बार विधानसभा चुनाव दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस के लिए मुश्किल भरे होते दिख रहे हैं. दो विधानसभाओं को छोड़कर शेष अन्य में घमासान के आसार हैं. चित्तौड़गढ़ में चंद्रभान सिंह आक्या के तेवर तीखे होते जा रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी के नरपत सिंह राजवी के नामांकन पत्र दाखिले के साथ ही यह तय हो गया कि पार्टी किसी भी कीमत पर अब टिकट में बदलाव के मूड में नहीं है. तो आक्या कार्यकर्ताओं के बूते 6 नवंबर को पर्चा भरने की तैयारी में हैं.
राजवी और आक्या के बीच जुबानी जंग को देखते हुए समझौते के आसार कम हैं. ऐसे में भाजपा के राजवी का कांग्रेस के साथ आक्या से मुकाबला करीब-करीब तय माना जा रहा है. कांग्रेस ने यहां से टिकट घोषित नहीं किया है. पार्टी द्वारा राजपूत के सामने राजपूत को उतारने की रणनीति की आशंका में जाड़ावत समर्थक सड़क पर उतर आए. जाड़ावत ने कहा कि आलाकमान को 6 नवंबर दोपहर तक का टाइम दिया गया है. कांग्रेस की ओर से नया चेहरा मैदान में उतारने पर चित्तौड़गढ़ में पहली बार दोनों प्रमुख दल बागियों से मुकाबला करते दिख सकते हैं.
कांग्रेस के लिए बड़ीसादड़ी, कपासन भी आसान नहीं: चित्तौड़गढ़ में आक्या की बगावत को देखते हुए भाजपा की कपासन में विधायक अर्जुनलाल जीनगर को छेड़ने की हिम्मत नहीं हुई और लगातार तीसरी बार मैदान में उतारा. हालांकि जीनगर का टिकट करीब-करीब फाइनल था. कांग्रेस में बड़ी संख्या में दावेदार थे. पार्टी ने पूर्व विधायक शंकरलाल बैरवा पर हाथ रखा, तो पार्टी में भूचाल आ गया. गत विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा रहे आनंदीराम खटीक ने आरएलपी का दामन थाम पर्चा भर दिया. इसका कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है. क्योंकि हनुमान बेनीवाल की जाट मतदाताओं पर अच्छी पकड़ मानी जाती है. वैसे जीनगर को एंटी-इनकंबेंसी का सामना करना पड़ सकता है.