चितौड़गढ़. जिले में अब तक कुल 189 पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं. इसमें सर्वाधिक लोग निंबाहेड़ा से 162 मरीज पाए गए हैं. इन सभी के बीच शहर के निकट ऐराल गांव से मिले संक्रमितों ने ग्रामीणों को चिंता में डाल दिया था. लेकिन ग्रामीणों के संयम का ही परिणाम है कि इन ग्रामीणों ने 15 दिन में ही कोरोना पर विजय प्राप्त कर ली. इसके बाद से अब तक इस गांव में एक भी संक्रमित नहीं पाया गया. अब ग्रामीण गांव लगाए गए कर्फ्यू के चलते कोरोना के साथ जीना सीख गए हैं.
चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय से करीब 7 किलोमीटर दूर बसा एक ग्राम पंचायत ऐराल है. वैसे तो इस ग्राम पंचायत क्षेत्र में 6 से अधिक आते हैं, लेकिन अकेले ऐराल गांव की आबादी करीब 1400 लोगों की है. बीते महीने 18 मई को यहां रहने वाले एक वृद्ध की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी. इसके बाद प्रशासन ने इस गांव में तत्काल कर्फ्यू की घोषणा कर दी थी. यह पहला मौका था, जब ग्रामीणों ने गांव में कर्फ्यू जैसा माहौल देखा. इस बीच उपचार के दौरान संक्रमित की उपचार के दौरान मौत भी हो गई थी, लेकिन लोगों ने हिम्मत नहीं हारी. तकरीबन 15 दिन के कर्फ्यू के बाद प्रशासन की ओर से अब इस गांव के लोगों को पूरी तरह से छूट मिल गई है, इससे गांव का जन जीवन भी पटरी पर आ गया है.
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दरअसल, ऐराल गांव के लोगों का मुख्य व्यवसाय ही खेती-बाड़ी का है. यहां के लोग कृषि और पशुपालन से अपना और अपने परिवार का गुजारा करते हैं. इनमें से कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो शहर में भी काम करते हैं. ऐसे में बीती 18 मई को एक व्यक्ति की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई, जिसके बाद से ही गांव में कर्फ्यू लगा दिया गया था, जो 2 जून तक लगा रहा. इस बीच इन ग्रामीणों के घर से बाहर निकलना भी दुश्वार हो गया, जिससे इन किसान परिवारों को अपने खेत और मवेशियों की चिंता सताने लगी. इसके बाद प्रशासन से आग्रह के बाद प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को बाहर निकलने की अनुमति दी गई, ताकि वे अपने मवेशियों का सार-संभाल कर सके. इसके साथ ही प्रशासन की ओर से एक शर्त रखी गई कि जो भी व्यक्ति घर से बाहर जाएगा, उसे सैनिटाइज होकर नहाना पड़ेगा, उसके बाद वो घर में प्रवेश करेगा.