कपासन (चित्तौड़गढ़).जिले के मातृकुंडिया में भगवान परशुराम के जीवन चरित्र को दर्शाने के लिए पेनोरमा का निर्माण करवाया गया है. यह निर्माण पर्यटन और धार्मिक रचना को बढावा देने के लिए बनाया गया है. पेनोरमा 2 साल से बनकर तैयार है, लेकिन परिसर में स्थापित भगवान परशुराम की मूर्ति ढकी हुई है. कोई चौकीदार भी नहीं है. साथ ही साफ-सफाई का भी कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा है.
परिसर के अंदर की तो यह हाल है कि इन सभी मूर्तियों से कवर तक नहीं हटाया गया है. करोड़ों की लागत से बने इस पेनोरमा में रखी मूर्तियों पर धूल जम रही है. आंगन भी धूल से सना हुआ है. अब चूहे भी इन मूर्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
2018 में हुआ था शिलान्यास
बता दें कि अप्रैल 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मातृकुंडिया में भगवान परशुराम पेनोरमा का शिलान्यास किया था. भगवान परशुराम के जीवन चरित्र को दर्शाने के लिए करोड़ों की लागत से इस पेनोरमा को बनाया गया है. भगवान परशुराम से संबंधित चित्र और पेंटिंग्स को भी यहां लगाया गया है. 2 साल से पेनोरमा बनकर तैयार है, लेकिन सत्ता बदली तो अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने भी अपनी आंखे फेर लीं.
पेनोरमा बनाने की यह थी योजना
प्रदेश के चित्तौड़गढ़ जिले में मातृकुंडिया स्थित है. यह वही जगह है जहां भगवान परशुराम अपनी मां के हत्या के पाप से मुक्त हुए थे. यहां पर उन्होंने भगवान शिव की तपस्या की थी और फिर शिवजी के कहे अनुसार मातृकुंडिया के जल में स्नान करने से उनका पाप धुल गया था. इस जगह को मेवाड़ का हरिद्वार भी कहा जाता है. मान्यता है कि, यहां बने कुंड में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. लिहाजा बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. इसी बात को ध्यान में रखकर परशुराम पेनोरमा का निर्माण करने की योजना बनी.
धूल फांक रहा है पेनोरमा