चित्तौड़गढ़. जिला मुख्यालय पर भक्तिमयी मीराबाई के गुरु संत रैदास और चित्तौड़ दुर्ग पर आक्रमण के दौरान युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले गोरा और बादल के पैनोरमा को बने करीब दो वर्ष से ज्यादा समय हो गया है. भाजपा सरकार में बने इन पैनोरमा को वर्तमान की गहलोत सरकार अब तक शुरू नहीं कर पाई है. ऐसे में करोड़ों रुपए खर्च कर तैयार किये गए इन पैनोरमा का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है. वहीं जिले के अलावा बाहर से आने वाले पर्यटक भी इनके इतिहास की जानकारी प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं. इस मामले में चित्तौड़गढ़ विधायक ने गहलोत सरकार पर पैनोरमा की उपेक्षा का आरोप लगाया गया तो वहीं उपखण्ड अधिकारी ने इन पैनोरमा के लिए राजस्थान धरोहर संरक्षण प्रोन्नति प्राधिकरण से सम्पर्क करने की बात कही है.
जानकारी के अनुसार भाजपा सरकार में प्रदेश के हर क्षेत्र में संतों और महापुरुषों के पैनोरमा बनवाए गए हैं. पैनोरमा निर्माण के पीछे उद्देश्य था कि इनके माध्यम से प्रदेश के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति को संरक्षित रखने और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का काम किया जा सके. इसी उद्देश्य को लेकर चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर सरकार ने दो पैनोरमा निर्माण की घोषणा की थी. सबसे पहले यहां मीराबाई के गुरु संत रैदास का पैनोरमा का निर्माण शुरू हुआ था. पैनोरमा शहर में ही दुर्ग की तलहटी में स्थित मोहर मंगरी के यहां बनवाया था. वहीं एक पैनोरमा वीर गोरा व बादल पर बनाया था. गोरा-बादल का पैनोरमा नगर परिषद क्षेत्र में ही भोईखेड़ा में बनाया गया है. यहां गोरा व बादल शहीद हुए थे. यहां दोनों की समाधिस्थल भी है.
पढ़ें:SPECIAL : रियल एस्टेट सेक्टर की GDP में है 7% भागीदारी...केंद्र सरकार के बजट से चाहिए 'बूस्ट'
इसी स्थान पर पैनोरमा का निर्माण करवाया गया और समाधि स्थल को भी इसी परिसर में ले लिया गया. संत रैदास और गोरा-बादल पर बनाए गए इन दोनों पैनोरमा के निर्माण में राज्य सरकार ने करीब तीन करोड़ रुपए की राशि खर्च की है. इन दोनों पैनोरमा के निर्माण को करीब दो वर्ष का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक सरकार का ध्यान इनके उद्घाटन पर नहीं गया है. ऐसे में इन पर ताले लटके हुए हैं. सरकार की और से पैनोरमा निर्माण से पहले समिति का गठन किया गया था और प्रत्येक समिति का अध्यक्ष संबंन्धित उपखण्ड अधिकारी को बनाया गया था.
पैनरोमा शुरू होने से पहले गार्ड, कर्मचारियों की नियुक्ति
पैनोरमा को लेकर चित्तौड़गढ़ के उपखण्ड अधिकारी श्याम सुंदर विश्नोई ने बताया कि राजस्थान धरोहर संरक्षण प्रोन्नति प्राधिकरण के जयपुर मुख्यालय पर सम्पर्क किया गया था. विभाग की ओर से पैनोरमा की चाबी ही उन्हें अभी दी गई है. विभाग की और से कोई बजट भी जारी नहीं किया गया है. पैनोरमा शुरू करने से पहले यहां आवश्यक कार्य के साथ ही रख रखाव व सुरक्षा के लिए गार्ड, टिकट काटने के लिए कर्मचारी आदि की नियुक्ति करनी होगी.
पढ़ें:SPECIAL : राजस्थान के पर्यटन को है 'संजीवनी' की दरकार...राज्य सरकार के बजट से बड़ी उम्मीदें
रैदास का पैनोरमा तो एराल ग्राम पंचायत में आता है. ऐसे में ग्राम पंचायत से भी इसके संचालन का आग्रह किया था लेकिन उन्होंने मना कर दिया. बजट आते ही सरकार निर्देशों के अनुसार इन दोनों पैनोरमा का संचालन शुरू करवाया जाएगा. वहीं विधायक चंद्रभानसिंह आक्या ने बताया कि भाजपा सरकार में पैनोरमा बने हैं, जिनके ताले तक नहीं खुले हैं. इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया जाएगा.