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चित्तौड़गढ़ में निजीकरण का विरोध, कई संगठन बैठी धरने पर

देश में श्रम सुधार और निजीकरण के विरोध में भारतीय मजदूर संघ को छोड़ कर विभिन्न श्रम संगठनों ने चित्तौड़गढ़ में बुधवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल की है. इस हड़ताल के तहत केन्द्र सरकार से 13 सूत्री मांग पत्र को रख कर दावा किया है कि इस हड़ताल में देशभर के 15 करोड़ श्रमिक भाग लेंगे.

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निजीकरण का विरोध

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Published : Jan 8, 2020, 6:23 PM IST

चित्तौड़गढ़. राष्ट्रव्यापी आव्हान पर देश में श्रम सुधार और निजीकरण के विरोध में बुधवार को विभिन्न मजदूर संगठनों के बैनर तले कलेक्ट्रेट पर धरना देकर 13 सूत्रीय मांग पत्र लागू करने की मांग की. वहीं निजीकरण का जम कर विरोध जताया.

निजीकरण का विरोध

इस दौरान कलेक्ट्रेट पर इंटक, एटक, सीटू, एक्टू, एचएमएस, एलारसा आदि श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों ने धरना दिया और अतिरिक्त जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर समस्याओं के निराकरण की मांग की.

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ज्ञापन में इन मांगों को शामिल किया गया है

  1. श्रम आयुक्त भारत सरकार और सीमेंट वेज बोर्ड के बीच हुए समझौते को लागू करने
  2. न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये करने
  3. ठेकाकरण समाप्त कर ठेका मजदूरों को नियमित मजदूरों के समान वेतन भत्ते दिलाने,
  4. ईएसआई, बोनस, भविष्य निधि, ग्रेच्युटी सहित अन्य सिलींग को समाप्त करने,
  5. ट्रेड यूनियन पंजीकरण प्रक्रिया सरल करने
  6. बेरोजगारी पर रोक लगाने, वायदा कारोबार बंद करने
  7. सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करने
  8. दस हजार रूपए प्रतिमाह पेंशन का भुगतान करने
  9. कामगारों के पंजीयन को ऑनलाईन और ऑफलाईन दोनों व्यवस्थाओं में लागू करने
  10. सामाजिक सुरक्षा कोष में पर्याप्त फंड उपलब्ध कराने और निजीकरण बंद करते हुए सार्वजनिक उद्योगों में विनिवेश पर विदेशी पूंजी रोकने जैसी मांगे शामिल की गई.

बता दें कि अस दौरान जिले के विभिन्न श्रम संगठनों ने एक बैनर तले प्रदर्शन किया. साथ ही जिले के विभिन्न उद्योगों, रेलवे, बैंकों आदि में कामकाज प्रभावित रहा. वहीं इस हड़ताल के तहत दावा किया गया है कि हड़ताल में देशभर के 15 करोड़ श्रमिक भाग लेंगे.

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