चित्तौड़गढ़.गत कई दिनों से चित्तौड़गढ़ में जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने स्थित पुराने महिला एवं बाल चिकित्सालय में संचालित हो रही कोरोना जांच प्रयोगशाला से जांच रिपोर्ट में हेरा-फेरी करने का मामला सामने आया था. इसके बाद जिला कलेक्टर केके शर्मा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसमें चार सदस्य जांच कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे.
जांच कमेटी ने रविवार को जिला कलेक्टर केके शर्मा को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. इसके बाद कलेक्टर ने मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में दो चिकित्सकों डॉ. नेहा अग्रवाल और डॉक्टर अनिल सैनी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए प्रयोगशाला में कार्यरत कंप्यूटर कर्मी को तत्काल प्रभाव से प्रयोगशाला से हटाने के निर्देश दिए हैं.
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गौरतलब है कि जिला राजकीय चिकित्सालय में हो रही लापरवाही पहले भी उजागर हो चुकी है. कई बार चिकित्सालय प्रशासन के खिलाफ कठोर कदम भी उठाए गए हैं. लेकिन कोरोना जांच प्रयोगशाला के मामले में इस बार बड़ी लापरवाही उजागर हुई. इसमें 11 सितंबर को चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या के परिवार को बिना कोरोना जांच सैंपल लिए ही पॉजिटिव करार दिया था. उसके दो घंटे बाद ही चिकित्सालय प्रशासन ने दूसरी सूची जारी करते हुए विधायक के परिवार को निगेटिव भी बता दिया था.
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बहरहाल जिला कलक्टर केके शर्मा ने इस मामले में दो चिकित्सकों और एक कंप्यूटरकर्मी पर कार्रवाई करने के निर्देश तो दिए हैं लेकिन इस मामले मे शामिल प्रमुख अधिकारी इस बार भी पहले के मामलों की तरह अपने आप को दोषमुक्त रखने और बचाने में एक बार फिर सफल साबित हुए हैं.