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चित्तौड़गढ़ में अधिकांश जलाशय सूखे, 30 फीसदी कम हुई बरसात - चित्तौड़गढ़ में तालाब सूखे

चित्तौड़गढ़ में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष मानसून की बरसात की कमी के चलते जिले के अधिकांश बांध, तालाब सहित अन्य जलाशय अभी भी सूखे पड़े हैं. गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष करीब 30 प्रतिशत तक बरसात कम हुई है, जिसके चलते जलाशयों में पानी की आवक नहीं हुई है.

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30 प्रतिशत कम हुई बरसात

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Published : Aug 11, 2020, 6:28 PM IST

चित्तौड़गढ़.जिले में सावन का महीना पूरी तरह सूखा बिता था. वहीं हर वर्ष औसत बरसात का करीब 50 प्रतिशत तक इसी माह तक हो जाता है. बरसात नहीं होने से किसानों के साथ ही आम आदमी परेशान था और सूखे की आहट महसूस की जा रही थी. वहीं बरसात का दौर हाल ही में शुरू हुआ है, लेकिन बरसात के मौसम का करीब डेढ़ महीना बीत जाने के बाद भी अभी तक जिले के प्रमुख जलाशय सूखे पड़े हैं.

चित्तौड़गढ़ में अधिकांश तालाब और जलाशय सूखे

जल संसाधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष 10 अगस्त तक कुल औसत बरसात की 74.24 प्रतिशत जिसमें 556 मिलीमीटर बरसात हो चुकी थी. लेकिन इस वर्ष की बात की जाए तो अभी तक कुल औसत बरसात के 43 प्रतिशत बरसात हुई है, जो कि 325 मिलीमीटर है. कम बरसात के कारण ही वर्तमान में जिले के कुल 43 बांधों में से 18 बांध अभी तक सूखे पड़े हैं, जबकि अगर पिछले वर्ष की बात की जाए तो 10 अगस्त तक 10 बांध खाली थे.

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अगर वर्तमान प्रमुख बांधों की बात की जाए तो जिले का प्रमुख गंभीरी बांध जिसकी भराव क्षमता करीब 7 मीटर की है. उसमें अभी तक 0.49 मीटर, वागन बांध जिसकी भराव क्षमता 5 मीटर के मुकाबले 1.40 मीटर, बस्सी बांध 11 मीटर के मुकाबले 2.10 मीटर, ओराई बांध 9.45 मीटर के मुकाबले 2.74 मीटर डोराई बांध 8.39 के मुकाबले 2.90 मीटर पानी की आवक ही हुई है. वहीं अगर घोसुंडा बांध की बात की जाए तो 423 आरएल के मुकाबले 420 आरएल पानी की आवक हुई है और इन हालात को देखते हुए जिला प्रशासन की चिंता जरूर बढ़ी है.

जल संसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता ब्रह्मापाल सिंह गुर्जर ने बताया कि बांधों की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है. लेकिन फिर भी अभी मानसून का लगभग एक महीना शेष है और आशा है कि जिले में पर्याप्त बरसात होगी और सभी जलाशय लबालब हो जाएंगे. इससे जिले के लोगों को पीने के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होगा और खेती के लिए भी किसान सिंचाई कर पाएंगे.

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