चित्तौड़गढ़. कोरोना महामारी का खौफ लोगों पर अब भी कायम है. हालांकि सरकार की ओर से वैक्सीनेशन की तैयारियां की जा रही हैं, स्कूल कॉलेज खोलने की घोषणा हो चुकी है. प्रदेश में बेरोजगारी को देखते हुए रियायतों का दौर भी चल रहा है. इसके बाद भी कोरोना का डर लोगों के दिलों दिमाग से नहीं उतर पाया है.
कोरोना संक्रमण का खतरा फैला तो सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया था, उसके बाद हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने अपने घरों को लौटे. अब तो जनजीवन तेजी से सामान्य होता जा रहा है, लेकिन चित्तौड़गढ़ में मनरेगा में मजदूरी पाने वाले लोगों के आंकड़ों को देखें तो यह तथ्य सामने आता है कि लोग फिर से मजदूरी के लिए बाहर जाने से कतराते दिख रहे हैं.
फिर से घर छोड़ने की बजाए लोग छोटे-मोटे धंधों के अलावा मनरेगा में ही रोजी रोटी की तलाश कर रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि नरेगा पर श्रम नियोजन लगातार बढ़ रहा है और यह संख्या अगले 2 महीनों में और भी बढ़ने की संभावना है. क्योंकि रबी की फसल कटने वाली है. फसल घर पहुंचने के बाद मनरेगा की ओर लोगों का रुझान तेजी से बढ़ने के आसार हैं.
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मस्टररोल में उपस्थित श्रमिकों की तादाद ठीक
ईटीवी भारत की टीम ने अनलॉक के बाद मनरेगा के तहत काम करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है या उस में गिरावट आई है. इसकी हकीकत जानने के लिए कुछ साइटों पर पहुंच कर ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की. शहर के निकट आने वाली देवरी ग्राम पंचायत के कुछ नरेगा कार्य का जायजा लिया तो वहां श्रमिकों की संख्या बढ़ने की बात सामने आई. इस पंचायत में प्रतिदिन 200 से अधिक लोगों को रोजगार दिया जा रहा है. मेड बंदी की एक साइट पर 42 महिला मजदूर काम करती दिखी जबकि इस काम के लिए 44 श्रमिकों का मस्टरोल जारी किया गया. अर्थात केवल दो श्रमिक नहीं पहुंचे. अन्य कार्यों पर भी मजदूरों की संख्या मस्टरोल के मुकाबले पाई गई.