कपासन (चित्तौड़गढ़).कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन से पूरे देश की अर्थव्यवस्था उलट-पुलट हो गई है. बाजार बंद होने से छोटे-बड़े सभी धंधे मंद पड़ गए हैं. जिससे व्यापारियों से लेकर किसानों तक को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. वहीं फूलों के किसानों पर भी लॉकडाउन का व्यापक असर पड़ा है. खेतों में लहरा रहे फूल अब पड़े-पड़े मुरझा चुके हैं. क्योंकि इन्हें खरीदने वाला अब कोई नहीं है.
इस बार किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है. किसानों को फूलों के फसल की लागत भी नहीं मिल पा रही है. किसानों की मानें तो, हर साल चैत्र नवरात्रि और शादियों में फूलों की डिमांड रहती है. शादी समारोह और पर्व को देखते हुए किसान फूलों की खेती उसी आधार पर करते हैं. डिमांड ज्यादा होने से किसानों को फूलों के दाम भी अच्छे मिलते हैं. लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते सभी धार्मिक कार्यक्रम और शादी-विवाह भी बंद है. ऐसे में किसानों के चेहरे मुरझाना स्वभाविक है.
क्या कहते हैं आंकड़ें...
- कुल 23 किसान 90 बीघा जमीन में करते हैं फूलों की बुवाई.
- एक बीघा में कुल 25 हजार का खर्च आता है.
- यहां से फूल शनिदेव मंदिर, हजरत दीवाना शाह दरगाह में पहुंचता है.
- यह फूल उदयपुर सावलिया सेठ के यहां भी जाते हैं.
- साल भर में एक परिवार इससे 1 लाख की कमाई कर लेता है.
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