चित्तौड़गढ़.बदलते मौसम के बीच खेती का ट्रेंड भी बदलता जा रहा है. अल्प वर्षा के बाद मावठ की सम्भावना में किसानों का जोर कम पानी वाली फसलों की ओर बढ़ा है. जिले में पहली बार करीब 1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चने की बुवाई की गई है, जो कुल रकबे का एक तिहाई है. गेहूं के बाद सबसे अधिक चने की बुवाई की गई है. साथ ही किसानों का सरसों पर भी भरोसा बढ़ा है. लगभग 60000 हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की बुवाई हो चुकी है जो कि लक्ष्य के मुकाबले 10% अधिक है. कृषि विभाग का कहना है कि बदलते मौसम के अनुरूप खेती के ट्रेंड में भी बड़ा बदलाव आ रहा है और किसानों का कम पानी की आवश्यकता वाली फसलों पर अधिक फोकस है.
कृषि विभाग के रबी फसल वर्ष 2023-24 के लक्ष्य पर नजर डालें तो कुल 344000 हेक्टेयर क्षेत्र में अनाज, तिलहन और दलहनी फसलों की बुवाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. इनमें सबसे अधिक गेहूं का रकबा 147000 निर्धारित किया गया. इसके मुकाबले अब तक 77% बुवाई हो चुकी है. रबी के सीजन में गेहूं जिले की मुख्य फसल मानी जाती है. हालांकि गत वर्ष के मुकाबले कुल रकबे में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है क्योंकि मानसून के दौरान औसत से भी कम बारिश दर्ज की गई. ऐसे में गेहूं का रकबा गत वर्ष के समकक्ष ही रखा गया.
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चढ़ गया चना:चने को अपेक्षाकृत कम पानी की फसल माना जाता है. मावठ से ही अच्छी खासी पैदावार मिल जाती है. प्रति बीघा 5 से 6 क्विंटल की पैदावार के बाद समर्थन मूल्य लगभग 5000 तक होने से किसान अब चने को अधिक महत्व दे रहे हैं. जिले में इस बार 98000 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया जिसके मुकाबले 73910 हेक्टेयर में चने की बुवाई की जा चुकी है. इस प्रकार कुल रकबे के मुकाबले 30 प्रतिशत चने का लक्ष्य रखा गया जो मुख्य फसल के मुकाबले लगभग 66 प्रतिशत है.