चित्तौड़गढ़. विधानसभा चुनाव से महज 8 माह पहले भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने संगठन में सतीश पूनिया के स्थान पर चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी को भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त कर चौंका दिया. छात्रसंघ से हाईकमान तक पहुंचने का उनका राजनीतिक सफर बड़ा ही रोचक कहा जा सकता है. आइए जानते हैं उनके इस राजनीतिक सफर के बारे में...
कांग्रेस के अग्रिम संगठन भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन से छात्रसंघ राजनीति की पहली सीढ़ी चढ़ने वाले सीपी जोशी ने एनएसयूआई से चित्तौड़गढ़ महाविद्यालय में छात्रसंघ उपाध्यक्ष का चुनाव लड़ा और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. अगले साल 1995 में एनएसयूआई के बैनर तले ही छात्रसंघ अध्यक्ष निर्वाचित हुए. इसके बाद उन्होंने पाला बदलते हुए भाजपा का दामन थाम लिया और पार्टी में उनका कद बढ़ता गया. जोशी ने 2014 और 2019 में सांसद का चुनाव लड़ा और कांग्रेस की कद्दावर नेता डॉ गिरिजा व्यास और गोपाल सिंह ईडवा को हराकर संसद पहुंचे.
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4 नवम्बर, 1975 को छोटे से कस्बे भादसोड़ा में जन्मे जोशी ने चित्तौड़गढ़ महाविद्यालय से बीकॉम किया और इसी दौरान 1994-95 में एनएसयूआई के टिकट से छात्रसंघ उपाध्यक्ष बने. इसके बाद 1995-96 में एनएसयूआई के ही टिकट पर छात्रसंघ अध्यक्ष भी चुने गए. वर्ष 1994 में एनएसयूआई के बैनर तले छात्रसंघ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े निर्मल जैन के अनुसार जोशी 1994 में उपाध्यक्ष चुने गए और अगले साल एनएसयूआई के टिकट पर सीपी जोशी अध्यक्ष निर्वाचित हुए. अध्यक्ष बनने के बाद तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भैरोंसिंह शेखावत मंडफिया आए थे. उस समय जोशी ने एनएसयूआई छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था.
इस प्रकार बढ़ता गया भाजपा में कद: सीपी जोशी ने साल 2000 में भाजपा के टिकट पर जिला परिषद के सदस्य का चुनाव लड़ा और 2005 तक जिला परिषद सदस्य रहे. इसके बाद अगले पंचायती राज चुनाव में भाजपा के टिकट से उन्होंने पंचायत समिति सदस्य का चुनाव लड़ा और भदेसर पंचायत समिति के उपप्रधान बने. इसके बाद वे युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष, जिला महामंत्री, प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रदेशाध्यक्ष बने. वहीं वे भाजपा जिलाध्यक्ष, जिला मंत्री, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य और प्रदेश उपाध्यक्ष रहे.
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विधायकी की थी उम्मीद, सांसद से नवाजा: 2013 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान सांसद श्रीचन्द कृपलानी के नजदीक रहते हुए जोशी ने चित्तौडगढ़ विधानसभा से दावेदारी रखी. लेकिन पार्टी ने चन्द्रभान सिंह आक्या पर भरोसा जताया. इससे जोशी को थोड़ी निराशा हुई, लेकिन कुछ ही माह बाद 2014 में पार्टी ने चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र से उन्हें भाजपा के टिकट पर मैदान में उतारा और कद्दावर नेता डॉ गिरिजा व्यास को हराकर देश की सर्वाेच्च पंचायत में पहुंचे. वहीं 2019 में उन्होंने प्रदेश में रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल कर सांसद का चुनाव जीता. आपको बता दें कि सांसद जोशी ने बीकॉम के बाद हाल ही में एलएलबी की डिग्री हासिल की है.