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चित्तौड़गढ़ में पर्यटनस्थल खुलेंगे या नहीं...सोमवार को होगा फैसला - भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग

अनलॉक शुरू होने के साथ ही केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन दुर्ग को भी एडवाइजरी के साथ पर्यटकों के लिए खोलने का निर्णय हो चुका है. करीब 3 महीने से देश के अन्य पर्यटन स्थलों के साथ ही विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग भी पर्यटकों के लिए बंद है. चित्तौड़ दुर्ग से जुड़े होटल, रेस्टोरेंट, हैंडीक्राफ्ट सहित अन्य पर्यटन व्यवसाय ठप पड़ा हुआ है.

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Published : Jul 5, 2020, 9:34 PM IST

चित्तौड़गढ़. पूरे देश में जारी लॉकडाउन के बाद शुरू हुई अनलॉक की प्रक्रिया में सरकार द्वारा कुछ चीजों में रियायत दी गई है. वहीं पर्यटन स्थलों को खोलने के भी आदेश दे दिए गए हैं. लेकिन चित्तौड़गढ़ में पर्यटन स्थल खुलेंगे या नहीं इस बारे में निर्णय सोमवार को हो सकता है.

विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग...

दरअसल, अनलॉक शुरू होने के साथ ही केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन दुर्ग को भी एडवाइजरी के साथ पर्यटकों के लिए खोलने का निर्णय हो चुका है. करीब 3 महीने से देश के अन्य पर्यटन स्थलों के साथ ही विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग भी पर्यटकों के लिए बंद है. चित्तौड़ दुर्ग से जुड़े होटल, रेस्टोरेंट, हैंडीक्राफ्ट सहित अन्य पर्यटन व्यवसाय ठप पड़ा हुआ है. वहीं अब सरकार की एडवाइजरी जारी होने के बाद 6 जुलाई से पर्यटनस्थल पर्यटकों के लिए खुलने की संभावनाएं बढ़ गई थी.

जानकारी मिली है कि गत दिनों केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री के निर्देशन में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के साथ बैठक हुई. इसमें एसआई के अधीन आने वाली ऐतिहासिक इमारतें और म्यूजियम आदि को खोलने पर भी चर्चा की थी. इससे पहले सोशल डिस्टेंसिंग की पालना संबंधित गाइडलाइन जारी करने का निर्णय हुआ. संभावना थी कि 6 जुलाई से चित्तौड़ दुर्ग सहित राजस्थान में स्थित गागरोन मेहरानगढ़ किला सहित अन्य ऐतिहासिक इमारतों को पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा. लेकिन जानकार सूत्रों ने बताया है कि विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग के सोमवार को खुलने की संभावना फिलहाल नहीं है.

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इसके पीछे का कारण यह है कि पुरातत्व विभाग की ओर से तो सभी पर्यटनस्थल खोलने के आदेश दे दिए हैं. लेकिन साथ में शर्त यह भी रखी है कि संबंधित जिला प्रशासन इस पर निर्णय करेगा. कोरोना को लेकर अगर जिले की स्थिति सही है और पर्यटकों से कोरोना फैलने का खतरा नहीं है तो पर्यटन स्थलों को खोला जा सकता है. यह निर्णय जिला प्रशासन को लेना है.

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इधर, चित्तौड़गढ़ में पुरातत्व विभाग के पत्र पर जिला प्रशासन की ओर से अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है. पुरातत्व विभाग से पत्र देरी से भेजा गया. वहीं प्रशासन अभी कोई रिस्क लेने के मूड में भी दिखाई नहीं दे रहा है. इसके पीछे कारण यह है कि प्रदेश में शनिवार को ही रिकॉर्ड तोड़ कोरोना के रोगी सामने आए थे. ऐसे में पर्यटन स्थल को खोलना चित्तौड़गढ़ शहर की सुरक्षा को लेकर खतरनाक हो सकता है. इस संबंध में अतिरिक्त जिला कलेक्टर मुकेश कलाल ने बताया कि फिलहाल चित्तौड़ दुर्ग को खोलने के संबंध में कोई चर्चा नहीं हुई है. जिला कलेक्टर चेतनराम देवड़ा से चर्चा कर उसके बाद ही कोई निर्णय होगा. चित्तौड़गढ़ जिले के लोगों के स्वास्थ्य को लेकर कोई भी खतरा मोल नहीं लिया जाएगा. सभी पहलुओं पर चर्चा कर निर्णय होगा.

मास्क लगाना होगा अनिवार्य

इधर, जानकारी में सामने आया कि पुरातत्व विभाग की ओर से तो अनुमति दे दी गई है, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से भी अगर दुर्ग पर्यटकों के लिए खोल दिया जाता है तो यहां आने वाले पर्यटकों को अनिवार्य रूप से मास्क लगाना होगा. इसके साथ ही पुरातत्व विभाग को भी काफी तैयारियां करनी होगी. सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही सैनिटाइजर की व्यवस्था भी करनी होगी. उच्च अधिकारियों के निर्देश मिलने के बाद पुरातत्व विभाग की ओर से आवश्यक तैयारियां की जा रही है, लेकिन फिलहाल जिला प्रशासन के आदेश का इंतजार किया जा रहा है.

दुर्ग के धार्मिकस्थल रहेंगे बन्द

राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में सभी धार्मिकस्थलों को बंद रखने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में कहीं पर भी धार्मिकस्थल नहीं खुलेंगे. चित्तौड़ दुर्ग पर भी अगर प्रशासन की अनुमति मिलती है तो भी दुर्ग के धार्मिक स्थल बंद रहेंगे. विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग पर कालिका माता मंदिर के साथ ही नीलकंठ महादेव मंदिर, लक्ष्मी माता मंदिर, बाणमाता मंदिर, अन्नपूर्णा माता मंदिर सहित कई धार्मिकस्थल हैं, जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं.

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