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लॉकडाउन का असर: चितौड़ दुर्ग के गोमुख की बढ़ी रौनक, पानी की गति बरकरार - fort historical places

'झरने झरे, गोमुख गिरे, पड़े निर्भयनाथ की ठोर, करोड़ों बरस तपस्या करें, तब पावे गढ़ चित्तौड़.' एक तरफ जहां पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कहर तेजी से फैल रहा है. लोग घरों में बंद है, सड़कों पर वाहन नहीं दौड़ रहे हैं. ऐसे में दुनिया भर से पर्यावरण प्रदूषण कम होने की जानकारी सामने आ रही है. नदियों का जल साफ हुआ है. इस बीच ऐतिहासिक चितौड़ दुर्ग पर भी एक राहत भरी खबर आई है. यहां के जलाशय जहां पानी का उपयोग नहीं होने से भरे हुए हैं तो वहीं धार्मिक रूप से आस्था का केंद्र गोमुख कुंड में भी भीषण गर्मी के बावजूद जलधारा की गति तेज है.

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चितौड़ दुर्ग के गोमुख की बढ़ी रौनक

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Published : May 18, 2020, 6:18 PM IST

चितौड़गढ़.मई माह के आधे दिन बीत चुके हैं, लेकिन गोमुख से गिरने वाली पानी की धार ऐसी है कि जैसे अक्टूबर-नवम्बर में पानी गिर रहा हो. जहां चितौड़ दुर्ग की ओर रहने वाले लोगों का कहना है कि 50 साल में उन्होंने ऐसा पहली बार देखा है कि गोमुख कुंड में इतना पानी भरा है. साथ ही गोमुख से गिरने वाले पानी की धार इतनी तेज है. विशेषज्ञों की मानें तो लॉकडाउन के चलते पानी का उपयोग नहीं होने के कारण गोमुख से इतनी तेज जल प्रवाह हो रहा है.

चितौड़ दुर्ग के गोमुख की बढ़ी रौनक

कोरोना संक्रमण के खौफ के चलते कोई घर से बाहर नहीं निकल रहा है. ऐसे में पर्यावरण पर सभी जगह प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. लॉकडाउन की वजह से चितौड़गढ़ शहर काफी सुनसान पड़ा गया है. न सड़कों पर गाड़ियां दौड़ रहीं हैं और न ही लोगों की चहल-पहल देखने को मिल रही है. इसका असर ऐतिहासिक चितौड़ दुर्ग के पर्यटन पर भी पड़ा है. करीब दो माह से चितौड़ दुर्ग पर पर्यटन बंद है. ऐसे में स्थानीय अथवा बाहरी कहीं के भी पर्यटक दुर्ग पर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में चितौड़ दुर्ग के जलाशयों के पानी पर इसका असर देखने को मिला है.

गोमुख से लगातार गिर रहा पानी

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जानकारी में सामने आया है कि विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग पर छोटे बड़े सभी मिला कर करीब 84 कुंड तालाब एवं बावड़िया हैं. यह सभी बरसात के समय लबालब भर जाते हैं. ऐसा बताया जाता है कि चित्तौड़ दुर्ग के आधे हिस्से के जलाशय आपस में जुड़े हुए हैं. एक-दूसरे से इंटर कनेक्ट होने के कारण एक दूसरे का पानी ऊंचाई से नीचे की तरफ जाता है. वहीं यहां एक बड़ा कुंड बना हुआ है, जिसकी पहचान गोमुख कुंड के नाम से है. यहां गाय के मुख से कुंड में पानी गिरता रहता है. गोमुख के नीचे शिवलिंग बने हुए हैं, जिनका 24 घंटे अभिषेक होता है. बरसात के समय गोमुख से पानी गिरने की गति काफी तेज होती है. लेकिन बरसात खत्म होने और गर्मी बढ़ने के साथ ही गोमुख से गिरने वाले पानी की गति कम हो जाती है. अप्रैल, मई, जून माह में तो स्थिति यह हो जाती है कि गोमुख से केवल पानी की पतली धार ही गिरती है, जिसकी भी गति तेज नहीं होती है. लेकिन इस साल ऐसा नहीं है.

विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग

गोमुख से काफी तेज गति से पानी की धार शिवलिंग पर गिर रही है और भगवान का लगातार अभिषेक कर रही है. ऐसे में जो दुर्ग के लोग हैं वह नजारा देखकर आश्चर्यचकित हैं. दुर्ग पर करीब 5 हजार की आबादी निवास करती है. इनमें से कई लोगों ने 50 साल में ऐसा नजारा पहली बार देखा है. इसके पीछे सभी लॉकडाउन को ही कारण मान रहे हैं. लोगों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण पर्यटक नहीं आ रहे हैं और पर्यावरण शुद्ध हुआ है. इसके चलते पानी पर भी असर पड़ा है. दुर्ग के जलाशय लबालब भरे हैं तो पानी भी स्वच्छ हैं. वहीं जलाशय इंटर कनेक्टेड होकर इनका पानी गोमुख कुंड की ओर जा रहा है.

ऐसे में अभी काफी तेज गति से गोमुख से पानी गिर रहा है, गोमुख से गिरते तेज गति के पानी के कारण गोमुख कुंड में पानी का स्तर भी काफी ऊंचाई पर है. वरना गर्मी में तो यह काफी नीचे चला जाता है. वहीं इस बारे में विशेषज्ञों से बात की गई तो उनका मानना है कि पर्यटकों के नहीं आने के कारण पानी की खपत कम हुई है. ऐसे में जलाशयों में पानी भरा हुआ है. इसी कारण दुर्ग के जलाशय आपस में जुड़े हुए होने के कारण अभी गोमुख से गिरने वाले पानी की गति तेज है. साथ ही गत दिनों बरसात भी हुई थी, इससे गर्मी का असर कम हुआ है.

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