राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

Chittorgarh engineer made Go Kart : इंजीनियर पिता ने बेटों के लिए डिजाइन की गोकार्ट, पैडल से चलती लेकिन देती है कार की 'फिलिंग'

चितौड़गढ़ के इंजीनियर कुश प्रता​पसिंह (Go Kart maker in Chittorgarh) ने कार जैसी फिलिंग देने वाली गोकार्ट बनाई है. पैडल से चलने वाली इस गोकार्ट को बच्चे भी चला सकते हैं. इस गोकार्ट को बनाने में करीब 35 हजार रुपए खर्च हुए हैं. इसे इलेक्ट्रिक वाहन में परिवर्तित करने की गुंजाइश को ध्यान में रखते हुए बैट्री की जगह भी बनाई हुई है.

Go Kart maker in Chittorgarh
इंजीनियर पिता ने बेटों के लिए डिजाइन की गोकार्ट

By

Published : Jan 18, 2022, 10:51 PM IST

चितौड़गढ़. एक इंजीनियर पिता ने अपने बेटों के लिए गोकार्ट डिजाइन की है. बच्चे व बड़े भी इस गोकार्ट का आनंद उठा रहे हैं. यह गोकार्ट पैडल से चलती है और कार की फिलिंग देती है. यह इतनी हल्की है कि पांच साल का बेटा अपने इंजीनियर पिता को बैठाकर चला लेता है. यह गोकार्ट आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. इसे बना कर इंजीनियर ने अपनी मां की इच्छा के साथ बच्चों की खुशी को पूरा किया है.

जानकारी में सामने आया कि अजमेर विधुत वितरण निगम लिमिटेड, चितौड़गढ़ में कार्यरत इंजीनियर आइएएन एफआईएस कुश प्रतापसिंह ने यह गोकार्ट डिजाइन (Go Kart made by Chittorgarh engineer) की है. शहर के चन्देरिया स्थित आरएसईबी कॉलोनी निवासी कुश प्रतापसिंह ने बच्चों के लिए कुछ अलग से करने की सोची. इसी को लेकर उन्होंने गोकार्ट बनाने का निर्णय किया. इसके लिए इनके सामने पहली बड़ी समस्या डिजाइन को लेकर थी. इसके लिए इन्होंने सोशल मीडिया के अलावा गूगल पर भी काफी सर्च किया. तब जाकर इन्हें एक डिजाइन पसंद आई. इसके बाद उन्हें गोकार्ट के लिए सामग्री जुटाने में काफी समय लग गया.

इंजीनियर पिता ने बेटों के लिए डिजाइन की गोकार्ट

पढ़ें:अजमेर : कबाड़ से देसी जुगाड़, कोरोना मरीजों के लिए आएगा ऐसे काम

सामग्री जुटाने के बाद उन्होंने मिस्त्री की सहायता से गोकार्ट बनाई. अब परिवार के सदस्य भी इसे चला रहे हैं. साथ ही यह आरएसईबी कॉलोनी में भी यह सभी के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. यह गोकार्ट इतनी हल्की है कि कुश प्रतापसिंह का पांच साल का बेटा वीर प्रतापसिंह भी इसे चला लेता है. साथ ही अपने पिता के साथ अपने बड़े भाई शौर्य प्रतापसिंह (7) को भी एक साथ बैठाकर गोकार्ट को पैडल की सहायता से चला लेता है. साथ ही इस गोकार्ट में हैंडल इस तरह से दिया है जैसे कार चला रहे हो. ऐसे में पैडल मारने के बाद भी यह गोकार्ट कार की फिलिंग देती है. इस गोकार्ट को बनाने में करीब 35 हजार रुपए खर्च हुए हैं.

पढ़ें:SPECIAL : कालाबाजारी से आहत युवक ने जुगाड़ कर बना दिया ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर, लागत आई 100 रुपए

इस संबंध में कुश प्रतापसिंह ने बताया कि बड़े बेटे शौर्य प्रताप सिंह का पहला जन्मदिन था, तब उनकी मां ने कहा था कि पौत्र को इलेक्ट्रिक कार दिलाना. ऐसे में वे बेटे को इलेक्ट्रिक वाहन दिलाने वाले थे, लेकिन कम उम्र के चलते इलेक्ट्रिक वाहन दिलाना खतरनाक साबित हो सकता था. ऐसे में उन्होंने गोकार्ट बनाने का निर्णय किया, जिससे कि उनकी मां की इच्छा भी पूरी हो जाए और उनके पुत्र भी खुश रहें.

इंजीनियर पिता ने बेटों के लिए डिजाइन की गोकार्ट

पढ़ें:बाड़ी के नर्सिंग कर्मी ने आपातकालीन सेवा के लिए बनाई जुगाड़, एक सिलेंडर से 5 मरीजों को मिलेगी ऑक्सीजन

उन्होंने बताया कि वर्तमान में 2 साल से कोरोना काल चल रहा है तथा लोगों का अधिकतर समय घरों में निकल रहा है. इलेक्ट्रिक बाइक पर कोई मेहनत नहीं कर पाता. ऐसे में गोकार्ट बना कर पैडल सिस्टम रखा, जिससे कि शारीरिक मूवमेंट भी हो तथा शरीर भी स्वस्थ रहे. गोकार्ट चलाने वाले को साइकिल की तरह ही मेहनत करनी पड़ेगी. गोकार्ट में भले ही पैडल से चलाने की व्यवस्था हो लेकिन इसमें इतनी जगह भी रखी है कि भविष्य में इसे इलेक्ट्रिक वाहन बनाया जा सके. बैट्री लगाने के लिए इसमें उन्होंने जगह रखी हुई है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details