चितौड़गढ़. एक इंजीनियर पिता ने अपने बेटों के लिए गोकार्ट डिजाइन की है. बच्चे व बड़े भी इस गोकार्ट का आनंद उठा रहे हैं. यह गोकार्ट पैडल से चलती है और कार की फिलिंग देती है. यह इतनी हल्की है कि पांच साल का बेटा अपने इंजीनियर पिता को बैठाकर चला लेता है. यह गोकार्ट आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. इसे बना कर इंजीनियर ने अपनी मां की इच्छा के साथ बच्चों की खुशी को पूरा किया है.
जानकारी में सामने आया कि अजमेर विधुत वितरण निगम लिमिटेड, चितौड़गढ़ में कार्यरत इंजीनियर आइएएन एफआईएस कुश प्रतापसिंह ने यह गोकार्ट डिजाइन (Go Kart made by Chittorgarh engineer) की है. शहर के चन्देरिया स्थित आरएसईबी कॉलोनी निवासी कुश प्रतापसिंह ने बच्चों के लिए कुछ अलग से करने की सोची. इसी को लेकर उन्होंने गोकार्ट बनाने का निर्णय किया. इसके लिए इनके सामने पहली बड़ी समस्या डिजाइन को लेकर थी. इसके लिए इन्होंने सोशल मीडिया के अलावा गूगल पर भी काफी सर्च किया. तब जाकर इन्हें एक डिजाइन पसंद आई. इसके बाद उन्हें गोकार्ट के लिए सामग्री जुटाने में काफी समय लग गया.
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सामग्री जुटाने के बाद उन्होंने मिस्त्री की सहायता से गोकार्ट बनाई. अब परिवार के सदस्य भी इसे चला रहे हैं. साथ ही यह आरएसईबी कॉलोनी में भी यह सभी के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. यह गोकार्ट इतनी हल्की है कि कुश प्रतापसिंह का पांच साल का बेटा वीर प्रतापसिंह भी इसे चला लेता है. साथ ही अपने पिता के साथ अपने बड़े भाई शौर्य प्रतापसिंह (7) को भी एक साथ बैठाकर गोकार्ट को पैडल की सहायता से चला लेता है. साथ ही इस गोकार्ट में हैंडल इस तरह से दिया है जैसे कार चला रहे हो. ऐसे में पैडल मारने के बाद भी यह गोकार्ट कार की फिलिंग देती है. इस गोकार्ट को बनाने में करीब 35 हजार रुपए खर्च हुए हैं.