चित्तौड़गढ़. विश्व विख्यात चित्तौड़गढ़ दुर्ग स्थित धार्मिक आस्था वाले गोमुख कुंड में चार-पांच दिन से मछलियों की मौत हो रही है. मछलियों की मौत किन कारणों से हो रही यह पता नहीं चल पा रहा है. वहीं मछलियों की मौत के कारण फैली बदबू से यहां आने वाले पर्यटक बेहाल हो रहे हैं.
विश्व विख्यात चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर गोमुख कुंड स्थित है. इस गोमुख कुंड का बड़ा धार्मिक महत्व भी है. दुर्ग पर आने वाला प्रत्येक श्रद्धालु व पर्यटक गोमुख कुंड पर अवश्य आता है. ऐसा कहा गया है कि दुर्ग पर 84 कुंड, तालाब व बावड़िया है, जिन्हें अंडर ग्राउंड जोड़ रखा है. इनका पानी गोमुख कुंड पर आता है. यहां पत्थर से बनी गाय के मुख से निरंतर पानी गिरता रहता है तथा भगवान महादेव का अभिषेक होता है. वहीं यहां एक बड़ा सा प्राचीन कुंड है जिसमें वर्षों से बड़ी संख्या में मछलियां रहती हैं. श्रद्धालु मछलियों को चने, आटा सहित अन्य खाद्य सामग्री खिलाते हैं.
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धार्मिक आस्था का केंद्र होने के कारण यहां मछलियों के शिकार पर भी रोक लगी हुई है. यहां स्थित मंदिर पर मौजूद पूजारी परिवार के अलावा पुरातत्व विभाग के कर्मचारी भी इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि कोई यहां शिकार नहीं करें. लेकिन चार-पांच दिन से यहां अज्ञात कारणों के चलते मछलियों की मौत होनी शुरू हो गई है. जैसे-जैसे दिन निकल रहे हैं वैसे मरने वाली मछलियों की संख्या भी बढ़ रही है. मछलियों की मौत का कारण कोई सामने नहीं आया है.
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यहां चार-पांच दिन से मछलियों की मौत होने के कारण बड़ी संख्या में मछलियां कुंड में उतराती नजर आ रहीं हैं. कुंड के चारों तरफ मृत मछलियां पड़ी हुई हैं तथा हवा में चारों तरफ मृत मछलियों की बदबू फैल रही है. ऐसे में यहां आने वाले पर्यटक भी खासे परेशान हैं. हाल ही में पर्यटनस्थलों पर आवाजाही के लिए सरकार की ओर से आदेश जारी कर दिए गए हैं. ऐसे में पर्यटकों का आना भी निरंतर जारी है. यहां बदबू के कारण पर्यटक ज्यादा देर रुक भी नहीं पा रहे हैं. इसकी जानकारी स्थानीय पुजारी ने नगर परिषद प्रशासन को दी है.
इस पर नगर परिषद से वाहन एवं कर्मचारी भेजे गए हैं जो यहां सफाई में जुटे हुए हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि बरसात के दौरान हर वर्ष मछलियों की मौत होती है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में कभी मछलियां नहीं मरी हैं. अंदेशा है कि किसी ने पानी में जहर मिला दिया हो अथवा कुछ गलत खाद्य सामग्री मछलियों को खिला दी हो, जिससे इनकी मौत हो रही हो. यहां पास में ही रानी पद्मिनी का मंदिर भी है जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. कुंड पर जाने के लिए करीब 70 से 80 सीढ़ियां को चढ़ना एवं उतरना पड़ता है. लेकिन जहां से सीढ़ियों की शुरुआत होती है वहां तक बदबू आने से पर्यटक परेशान हैं.