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चित्तौड़गढ़: 'काले सोने' पर बादलों का ग्रहण, काली मस्सी रोग ने भी बढ़ाई किसानों की चिंता - अफीम किसान

चित्तौड़गढ़ में इन दिनों अफीम की फसल पकने को तैयार है, लेकिन किसानों को ओलावृष्टि और बारिश का डर सता रहा है. अफीम की फसल में सफेद मस्सी रोग की भी शिकायत लगातार सामने आ रही है. जिससे बचाव के लिए किसान दवा का छिड़काव कर रहे हैं. जिले के घोसुंडा बांध के नजदीकी गांव में जमीन में नमी के चलते फसल झुकने की शिकायत भी लगातार बढ़ती जा रही है.

opium crop in Chittorgarh, चित्तौड़गढ़ अफीम फसल
अफीम की फसल को लेकर किसान चिंतित

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Published : Mar 2, 2020, 7:32 PM IST

चित्तौडगढ़.अफीम की फसल इन दिनों पककर तैयार है. अधिकांश खेतों में सफेद फूल खत्म होकर डोडे आ गए, जो पकने को हैं. इधर बादलों की काली छाया किसानों की परेशानी बढ़ा रही है. काले बादल के कारण डोडे में अफीम की मात्रा कम हो जाती है, तो वहीं बरसात और ओलावृष्टि होने की स्थिति में भी फसल खराब होने का डर सता रहा है. फसल पकने के कारण इसमें अब सफेद मस्सी रोग भी घर करने लगा है. इसमें तना सड़कर अफीम का पौधा सूखने लगता है. इससे लाइसेंस कटने का खतरा रहता है.

अफीम की फसल को लेकर किसान चिंतित

चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय से 20 किलामीटर दूर घोसुंडा बांध के नजदीकी गांव में जमीन में नमी के चलते फसल झुकने की शिकायत लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में किसान खेतों में फसल तार से बांधकर पौधों को झुकने से रोकने में जुटे हुए हैं.

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वहीं अफीम काश्तकार कृषि विशेषज्ञों की राय लेकर दवा का छिड़काव कर अपनी उपज एवं अफीम लाइसेंस को बचाने की कवायद में जुटे हुए हैं. जानकारी के अनुसार काला सोने के नाम से प्रसिद्ध अफीम की फसल पककर तैयार है.

किसान अपने परिवार से साथ अफीम की फसल की रखवाली के लिए दिन-रात एक कर रहा है. पूरे परिवार का समय खेत पर ही बीत रहा है. अब पौधों से अफीम लेने का समय है लेकिन इन दिनों छाए बादलों ने किसानों की नींद उड़ा कर रख दी है.

दो-तीन दिन में प्रदेश के कुछ हिस्सों में बरसात के साथ ओलावृष्टि भी हुई है. वहीं काले बादल छाए रहने से किसान चिंतित है. बादल छाने के साथ ही अफीम के डोडे में दूध की मात्रा खुद बा खुद ही कम होने लग जाती है. साथ ही बरसात होने पर अफीम के पौधे नीचे झुकने और ओलावृष्टि होने पर अफीम के डोडे नष्ट होने की आशंका बनी हुई है.

किसान बार-बार आसमान की तरफ देख कर मौसम बदलने की आस जुटाए हुए हैं. कई किसानों ने तो अफीम के डोडों के चीरे लगाना शुरू नहीं किया है. चीरे लगाने के बाद बरसात होती है तो अफीम के डोडे से दूध नष्ट होने का खतरा रहता है.

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इधर अफीम की फसल जब पकती है तो इसमें सफेद मस्सी रोग लगता है. यह शिकायत जिले के कई किसानों को हो रही है. सफेद मस्सी रोग से फसल को बचाने के लिए किसान भी कृषि विशेषज्ञों की राय लेकर खेतों में दवाओं का छिड़काव करते देखे जा रहे हैं. वहीं इस वर्ष हुई औसत से अधिक बरसात भी किसानों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है.

अबतक धूप भी तेज निकलना शुरू नहीं हुई है. इससे खेतों में अब भी नमी बनी हुई है. सिंचाई करने के साथ ही नमी और बढ़ जाती है और अफीम के पौधे नीचे झुकने की समस्या रहती है.

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