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जम्मू-कश्मीर के बाद सर्वाधिक नेटबंदी राजस्थान में, व्यापारियों को करोड़ों का नुकसान: राजेन्द्र सिंह राठौड़

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Published : Oct 28, 2021, 4:16 PM IST

भाजपा नेता एवं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ ने राज्य की अशोक गहलोत सरकार पर जुबानी हमला बोला है. राठौड़ का कहना है कि देश में जम्मू-कश्मीर के बाद सबसे ज्यादा नेटबंदी राजस्थान में हुई है. इससे प्रदेश के व्यापारियों को करीब 800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.

राजेन्द्र सिंह राठौड़
राजेन्द्र सिंह राठौड़

चित्तौड़गढ़. भाजपा नेता एवं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ का कहना है कि 27 अक्टूबर को आयोजित आरएएस परीक्षा के दौरान सरकार ने फिर एक बार नेटबंदी की. मैं समझता हूं कि जम्मू-कश्मीर के बाद सबसे ज्यादा नेटबंदी करने में राजस्थान सरकार ने महारत हासिल की है. परीक्षाओं का इंतजाम कर नहीं पाए. हर प्रश्न पत्र लीक होते चले गए, मात्र नेट बंद करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली. नेटबन्दी से प्रदेश के व्यापारियों को मोटे तौर पर 800 करोड़ का नुकसान हुआ है.

राठौड़ गुरुवार को जिले के दौरे पर रहे. यहां सर्किट हाउस में विधायक चंद्रभान सिंह आक्या के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों ने उनका स्वागत किया. इस दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने धरियावद एवं वल्लभनगर उपचुनाव में भाजपा की जीत के दावे किए. साथ ही उन्होंने हर मोर्चे पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार को विफल बताया. इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इसी दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में अपनी तीसरी वर्षगांठ मनाने की तैयारी कर रही है. इन्होंने 3 साल से ज्यादा सरकार का समय व्यतीत हो जाने के बाद राजस्थान के इतिहास में यह ऐसी सरकार के रूप में आई है, जहां सरकार ने अपनी बजट की घोषणाओं को पूरा करने के लिए कोई कोशिश नहीं की. सरकार ने 3 बजट प्रस्तुत किए और तीनों बजट में विकास कार्य प्राथमिकता में नहीं रहे.

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रीट परीक्षा की पवित्रता पूरी तरह नष्ट हो गई

राजस्थान में बेरोजगारी की दर 17.6 फीसदी है, जो हरियाणा व जम्मू कश्मीर के बाद तीसरे नंबर पर है. सरकार ने जितनी परीक्षाएं अब तक आयोजित की हैं, सबसे बड़ी परीक्षा रीट पर प्रश्न चिन्ह लगा और हम लोग लगातार मांग कर रहे हैं कि इस पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई से करवाओ. सरकार खुद कह रही है कि उन्होंने 26 लोगों को रीट की परीक्षा में प्रश्न पत्र प्रारंभ होने से पहले आउट होने के कारण से गिरफ्तार किया. जहां 26 अपराधी प्रश्न पत्र को लीक करने के प्रथम दृष्टया पुलिस पकड़ती है तो इसका मतलब यह प्रश्न पत्र कितने हाथों में गया होगा. इसकी पवित्रता पूरी तरह से नष्ट हो गई.

प्रदेश में टूट रहा पुलिस का इकबाल

उन्होंने कहा कि इस सरकार के चलते अपराधी और अपराध बढ़े हैं. राज्य में दहशतगर्दी का वातावरण बना है, जहां अपराधी बेखौफ हैं और पुलिस तंत्र निष्क्रिय हो गया. एक सप्ताह में पुलिस 4 बार पिटी है. कल भीलवाड़ा में भी इसी तरह का मामला सामने आया था. पुलिस पर फायरिंग करते हुए नाकाबंदी तोड़ कर तस्कर भाग गया. पुलिस उसे पकड़ नहीं पाई. इसी तरह कल ही रूपवास में पुलिस की गाड़ी को तोड़ दिया गया, फायरिंग की गई. पुलिस कांस्टेबल की सरेआम हत्या कर बदमाश भाग गए. पुलिस का इकबाल टूटता जा रहा है.

अपराध बढ़ रहे, इससे बुरी बात हो नहीं सकती

अपराध को लेकर उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि दुष्कर्म के मामले में राजस्थान देश में पहले पायदान पर पहुंच गया है. आदिवासियों पर अत्याचार के मामले में राजस्थान दूसरे पायदान पर आ गया है. अनुसूचित जाति के मामले में प्रदेश दूसरे और साइबर क्राइम के मामले में पहले पायदान पर पहुंच गया है. बच्चों की तस्करी के मामले में प्रदेश पहले पायदान पर पहुंच गया. इससे बुरी बात कोई हो नहीं सकती.

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प्रदेश में डेंगू बढ़ा, स्वास्थ्य मंत्री राजनीतिक घुमाई पर गुजरात

राठौड़ उन्होंने कहा कि प्रदेश में डेंगू का कहर बढ़ गया है और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री गुजरात में राजनीतिक पर्यटक के रूप में घुमाई कर रहे हैं. आवश्यकता इस बात की है यहां पर फुल टाइम स्वास्थ्य मंत्री दें, क्योंकि अब वह स्वास्थ्य मंत्री का का काम पार्ट टाइम कर रहे हैं. इसी प्रकार मुख्यमंत्री 16 भारी भरकम विभागों को लेकर चल रहे हैं. गृहमंत्री, वित्त मंत्री, राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री, पीडब्ल्यूडी मंत्री भी वही हैं. वे मंत्रिमंडल का गठन करने के खौफ से ग्रसित हैं. माकन कमेटी का जो फैसला हुआ था, सचिन पायलट व गहलोत के बीच उसको आज 16 महीने गुजर गए. मुख्यमंत्री यह साहस नहीं कर पा रहे हैं कि अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन कर लें. क्योंकि विद्रोह इतना तेज है कि मंत्रिमंडल के गठन के बाद सरकार चलाना मुश्किल हो जाएगा.

वल्लभनगर व धरियावद में भाजपा की जीत

राठौड़ ने कहा कि वे धरियावद के प्रभारी व चित्तौड़गढ़ के सह प्रभारी रहे हैं. हम वहां लगातार 22 दिन तक बने रहे. धरियावद के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार निश्चित रूप से 20 हजार से ज्यादा वोटों से विजय होगा. जहां मुख्यमंत्री ने ताबड़तोड़ सभाएं की और आधा दर्जन मंत्रीगण बैठे रहे. 100 से ज्यादा घोषणाएं कीं. उन घोषणाओं को अमलीजामा पहना नहीं पाए. इसलिए धरियावद व वल्लभनगर के उपचुनाव में बीजेपी निश्चित तौर पर जीतेगी.

आया राम, गया राम से नहीं पार्टी को नुकसान

वल्लभनगर में भाजपा के बागी के रालोप के बैनर से चुनाव लड़ने पर उन्होंने कहा कि भाजपा कैडर बेस पार्टी है. इसलिए बीजेपी का मतदाता भारतीय जनता पार्टी से बिछोह कम करता है. 'आया राम, गया राम' श्रेणी के लोग आते हैं और चले जाते हैं. इनसे पार्टी को कोई नुकसान नहीं होता. पार्टी का मजबूत संगठन है। अभी चार-पांच दिनों में पार्टी की स्थिति में वल्लभनगर में आश्चर्यजनक सुधार हुआ है और हम जीत की ओर लगातार आगे बढ़ रहे हैं.

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पारिवारिक स्थिति के चलते नहीं आई पूर्व सीएम

उन्होंने कहा कि भाजपा सामूहिक नेतृत्व पर विश्वास करती है. हमारे पास विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता नरेंद्र मोदी का चेहरा है. प्रदेश में किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा, यह हमारा केंद्रीय संसदीय बोर्ड तय करता है. पूरी पार्टी एकजुटता के साथ इन दोनों उपचुनाव में लगी रही और मैं समझता हूं कि कांग्रेस की बाड़ाबंदी में लोग पांच सितारा होटल में 38 दिन तक रहे. पहली बार हिंदुस्तान में ऐसी कोई सरकार, ऐसे मुख्यमंत्री रहे होंगे जो अपने विधायकों के साथ असुरक्षा की भावना में सुरक्षित होने के लिए पांच सितारा होटल में रहे. उन्होंने कहा कि वसुंधरा हमारी नेता है एवं पूर्व मुख्यमंत्री हैं. उनकी पारिवारिक परिस्थितियां इस प्रकार की है कि उनकी पुत्रवधू बीमार हैं. इस कारण से उनका इन दिनों आना-जाना कम हुआ. जब भी पार्टी का कोई कार्यक्रम होता है, वह हमें मार्गदर्शन देने आती हैं.

धार्मिक आस्थाओं से खेलने वाले आदेश

उन्होंने कहा कि राजस्थान में सरकारी महकमों में अलग-अलग आदेश जारी होते हैं. अधिकारी सरकार के निर्देशों की पालना करने के बजाय इस प्रकार के आदेश जारी करते हैं कि किसी भी थाने के अंदर कोई भी धार्मिक स्थल नहीं होगा. जितने भी थाने बने हुए हैं उसमें 40 प्रतिशत थाने ऐसे हैं जब स्टेट टाइम था, तब से थाना व चौकी के रूप में काम करते रहे. ऐसे में वर्षों पुराने थानों के अंदर मंदिर बने हैं, कहीं मजार हैं. इस प्रकार धार्मिक आस्थाओं से खेलने वाले निर्देश जारी करना का कोई औचित्य नहीं है. सरकार को इसे वापस लेना चाहिए.

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