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चित्तौड़गढ़ः लॉक डाउन के बाद मजदूरों के सामने आया जीवन यापन का संकट - chittorgarh news

सीमेंट हब चितौड़गढ़ में लॉक डाउन के बाद कई मजदूरों के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है. जहां सभी औद्योगिक प्रतिष्ठानों पर तालाबंदी के हालात हैं, ऐसे में नियमित मजदूरी कर घर चलाने वाले लोगों को परेशानी की सामना करना पड़ रहा है.

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चित्तौड़ के उद्योग और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों पर ताले

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Published : Mar 25, 2020, 8:02 PM IST

चितौड़गढ़. चित्तौड़गढ़ जिला सीमेंट हब कहलाता है. यहां सीमेंट के कई फैक्ट्रियां स्थापित हैं तो वहीं हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड जैसा नामी उधोग भी स्थापित है. इसके अलावा भी कई औद्योगिक एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों की भरमार है. मुख्य रूप से मार्बल व्यवसाय भी इसमें शामिल है, लेकिन कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने का गंभीर खतरा सामने आने के बाद जिले के सभी उद्योग के अलावा सभी औद्योगिक प्रतिष्ठानों पर तालाबंदी के हालात बन गए हैं.

जिले में प्रतिदिन करोड़ों का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है तो नियमित मजदूरी कर पेट पालने वालों के सामने पेट भरने को लेकर संकट खड़ा हो गया है. प्रशासन से अलग हट कर उद्योगों की बैठकें भी चल रही है तो वहीं उद्योग संस्थान ऐसे लोगों की मदद को भी आगे आ रहे हैं.

चित्तौड़ के उद्योग और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों पर ताले

जिला मुख्यालय पर चंदेरिया में बिरला सीमेंट वर्क्स चंदेरिया सीमेंट वर्क्स के नाम से दो सीमेंट संयंत्र हैं. वहीं इनके नजदीक पुठोली में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड का संयंत्र स्थापित है. चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर अल्ट्राटेक सीमेंट का प्लांट है, तो वहीं निंबाहेड़ा क्षेत्र में जेके सीमेंट के दो प्लांट, वंडर सीमेंट, न्यूवोको सीमेंट आदि संयंत्र है.

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इसके अलावा भी चित्तौड़गढ़ और आजोलिया का खेड़ा में मार्बल और ग्रेनाइट उद्योग स्थापित है, लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते सीमेंट, हिंदुस्तान जिंक सहित मार्बल उद्योग में पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है.

जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़गढ़ में मार्बल उद्योग 500 करोड़ वार्षिक टर्न ओवर वाला है. इनमें 10 हजार से अधिक रोजगार प्राप्त कर रहे हैं. वहीं उद्योग एम संयंत्र बंद हो जाने से इनसे जुड़े व्यवसाय पर भी काफी प्रभाव पड़ा है. इससे जहां संयंत्र के आस-पास होटल एवं भोजन का व्यवसाय तो चलता ही है साथ ही मजदूरी, लोडिंग, अनलोडिंग, धर्मकांटा के अलावा भी ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर बड़ा फर्क पड़ा है.

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वाहन इंडस्ट्रियों की पार्किंग में खड़े हैं. एक तरफ जहां वाहन मालिकों पर किश्त चुकाने का संकट है तो चालक और खलासी भी बेरोजगार हो गए हैं और घर बैठे हुए हैं. इन सभी के सामने रोजगार का भारी संकट उठ खड़ा हुआ है. सरकार की एडवाइजरी के बाद दैनिक वेतन मजदूरी वाले लोगों को इन उद्योगों की ओर से भी मास्क वितरण के साथ ही भोजन की व्यवस्था की जा रही है. चित्तौड़गढ़ में आजोलिया का खेड़ा मार्बल संस्थान की ओर से यहां कार्यरत मजदूरों को निशुल्क भोजन का वितरण भी करवाया जा रहा है, जिससे कि इनके सामने पेट भरने को लेकर संकट खड़ा नहीं हो.

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