चित्तौड़गढ़. पेट्रोलियम पदार्थों की लगातार हो रही मूल्य वृद्धि के विरोध में शुक्रवार को पूरे प्रदेश में कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन कर केंद्र सरकार पर हमला बोला हैं. चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर भी कांग्रेस ने धरना दिया है. वहीं कांग्रेस के इस प्रदर्शन पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष और चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने पर प्रदर्शन का ढोंग करने वाली राजस्थान सरकार को पहले पेट्रोल डीजल पर लगने वाले वैट को कम करना चाहिए.
पेट्रोल डीजल को लेकर सीपी जोशी ने कहा कि पहले कांग्रेस सरकार को कम करना चाहिए वैट सांसद जोशी ने कहा कि आज पूरे भारत में सबसे ज्यादा किसी राज्य सरकार ने वैट लगा रखा है तो वो राजस्थान है. पेट्रोल पर राजस्थान में लगभग 36 रुपए से ज्यादा वैट की राशि है, जबकि उत्तर प्रदेश में 26.80 रुपए, हरियाणा में 25 रुपए, पंजाब में 24.79 रुपए और गुजरात में 20.10 रुपए ही है.
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इसी प्रकार डीजल पर राजस्थान में 26 रुपए वैट की राशि है, जबकि उत्तरप्रदेश में 17.28 रुपए, हरियाणा में 16.40 रुपए, पंजाब में 15.94 रुपए और गुजरात में 20.20 रुपए वैट राशि है. ये तुलनात्मक अध्ययन ये बताने के लिए बहुत है कि राजस्थान में कांग्रेस केवल प्रदर्शन का ढोंग कर रही है.
सांसद जोशी ने कहा कि राजस्थान सरकार केन्द्र सरकार को दोष देने के बजाय यदि जनता का हित चाहती है तो सबसे पहले अपने सीमावर्ती राज्यों के समान वैट की दर कम कर तुरंत राहत दें. आज भी राजस्थान सरकार के वैट की दरें बढ़ने के कारण राजस्थान में कई ट्रांसपोर्टर पडोसी राज्यों से डीजल गाड़ियों में भरवाते हैं.
सांसद जोशी ने कहा कि राजस्थान के सीमावर्ती जिलों के पेट्रोल पंप मालिकों ने तो राज्य सरकार को कई बार ज्ञापन देकर वैट कम करने की मांग की है, जिससे उनकी बिक्री पुनः पूर्व के समान हो सके. राजस्थान सरकार के बढ़े वैट के कारण सीमावर्ती जिलों के पेट्रोल पंप बंद होने के कगार पर है और यहां के लोग पड़ोसी राज्य से डीजल- पेट्रोल भरवाते हैं तो राजस्थान सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है.
सांसद जोशी ने कहा कि केंद्र ने तो विगत सात वर्षों में हमेशा प्रयास किया कि कच्चे तेल के अंतर्राष्ट्रीय दरों में उतार-चढ़ाव के बावजूद भी कभी केंद्र के वैट को बहुत ज्यादा परभावित नहीं किया.
जयपुर महापौर के निलंबन को लेकर बीजेपी ने सौंपा ज्ञापन
राजस्थान सरकार की ओर से जयपुर ग्रेटर नगर निगम की महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर और 3 पार्षदों का निलम्बन अलोकतांत्रिक है, इसके खिलाफ शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी बस्सी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने कोरोना माहमारी के नियमों का पालन करते हुए राज्यपाल के नाम बस्सी तहसीलदार को ज्ञापन दिया.
पश्चिम मण्डल प्रवक्ता विकास पालावाला ने बताया कि कांग्रेस सरकार ने इस कृत्य से लोकतंत्र का गलाघोटा है. भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता इसका घोर विरोध करता है और सड़क से संसद तक लड़ाई लड़ने को तैयार है.
जयपुर पार्षद के निलंबन का विरोध
सीकर जिले के खंडेला में भाजपा ने शहर मण्डल अध्यक्ष के नेतृत्व में जयपुर नगर निगम महापौर सौम्या गुर्जर और तीन पार्षदों को राज्य सरकार की ओर से निलंबन के विरोध में भाजपा शहर मण्डल अध्यक्ष गुलाब चन्द अग्रवाल के नेतृत्व में खण्डेला उपखंड अधिकारी राकेश कुमार को राज्यपाल के नाम का ज्ञापन सौंपा गया. ज्ञापन में बताया गया कि राज्यपाल से मांग की गई है कि पूरे प्रकरण की जांच करवाकर महापौर सौम्या गुर्जर और पार्षदों का निलंबन रद्द करवाकर पुन: बहाल किया जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
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ज्ञापन में राज्य की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया गया है कि सरकार ने महापौर और पार्षदों का निलंबन असंवैधानिक रूप से हटाया है. राज्य की कांग्रेस सरकार ने भाजपा की सौम्या गुर्जर के महापौर बनने के समय से ही बाधा पहुंचाना शुरू कर दिया था. बोर्डों के चेयरमैन बनाने में भी राज्य सरकार ने बाधा पहुंचाने का काम किया था. ज्ञापन में राज्य सरकार से मांग की गई है कि अविलंब प्रकरण की जांच कर राज्य सरकार की ओर से पारित आदेश को निरस्त कर महापौर सौम्या गुर्जर और पार्षदों का निलंबन बहाल किया जाए और दोषी अधिकारियों और राज्य सरकार के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई की जाए.
सौम्या गुर्जर का मामला पकड़ रहा तूल
जयपुर ग्रेटर नगर निगम की मेयर सौम्या गुर्जर को निलंबित करने के मामला तूल पकड़ता जा रहा है. सौम्या गुर्जर के पति राजा राम गुर्जर का वीडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस जहां भाजपा और आरएसएस के खिलाफ बयान बाजी कर रही है, वहीं भाजपा ने इसे आरएसएस को बदनाम करने का षड्यंत्र बताया है. ग्रेटर नगर निगम की मेयर सौम्या गुर्जर और तीन पार्षदों को निलंबित करने के मामले में भाजपा की ओर से शुक्रवार को राज्यपाल के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रथम इकबाल खान को ज्ञापन दिया. भाजपा ने कानून का दुरुपयोग कर जनता की ओर से निर्वाचित महापौर और पार्षदों के निलंबन को असंवैधानिक बताया है.