चित्तौड़गढ़. जिले में कुछ महीनों से कोरोना संक्रमित का आंकड़ा जिस तरह से बढ़ा है. उससे आमजन में भय का माहौल व्याप्त हो गया है. लेकिन, किस तरह से चित्तौड़गढ़ मुख्यालय पर चिकित्सालय प्रशासन द्वारा कोरोना सैंपल की जांच की जाती है और किस तरह से रिपोर्ट में हेरा-फेरी की जाती है. इसका उदाहरण चित्तौड़गढ़ में देखने को मिला. इसमें चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या के परिवारजनों को बिना कोरोना सैंपल दिए शाम को जारी हुई लिस्ट में पॉजिटिव बता दिया गया. ये मामला सामने आया तो देर रात चिकित्सालय प्रशासन ने आनन-फानन में एक और सूची जारी की, जिसमें विधायक के अन्य परिवारजनों को भी नेगेटिव भी बता दिया.
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बता दें कि कोरोना की जांच रिपोर्ट में चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभानसिंह आक्या के परिवारजनों में उनकी पत्नी, पुत्री और उनके साले को पॉजिटिव बताया गया गया था. लेकिन पता चला कि विधायक के साले रामप्रतापसिंह ने सैंपल देना तो दूर 5 दिन से वो चिकित्सालय ही नहीं गए. जब यह मामला सामने आया तब चिकित्सालय प्रशासन में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में देर रात एक और सूची जारी की गई, जिसमें विधायक के परिजनों को नेगेटिव भी करार दे दिया गया. वहीं, उन्हें पहली सूची में पॉजिटिव बताया था. इसके बाद प्रश्न ये उठता है कि पहली सूची और दूसरी सूची में 2 घंटे का अंतराल रहा. ऐसे में 2 घंटे में विधायक के परिजन पॉजिटिव से नेगेटिव कैसे हो गए.