चित्तौड़गढ़.कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच देश में हुए लॉकडाउन से छोटे-मोटे व्यापारियों के हालत इस कदर खराब हो गए कि उनका गुजर-बसर करना भी मुश्किल हो गया. इसका असर इन व्यापारियों पर इस प्रकार पड़ा कि इनके आगे आर्थिक संकट खड़ा हो गया. आलम यह है कि अब ना तो ये खुद पेट पाल पा रहे हैं और ना ही अपने परिवार की जीविका चला पा रहे हैं.
कोरोना का ऐसा ही बुरा असर चित्तौड़गढ़ में राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्थित होटल और ढाबों से जुड़े व्यवसायों पर पड़ा है. लॉकडाउन के कारण करीब 70 फीसदी तक की बिक्री प्रभावित हुई है. लोग घरों से बाहर तो निकल रहे हैं, लेकिन कोरोना के डर से होटल-ढाबों में जाने से डर रहे हैं.
चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय से करीब 3 ओर राष्ट्रीय राजमार्ग जाते हैं, तो वहीं 2 तरफ स्टेट हाईवे. लेकिन यह दोनों स्टेट हाईवे भी फोरलेन से गुजरते हैं. साथ ही चित्तौड़गढ़ जिले से होकर देश के कई प्रमुख राज्यों एवं बड़े शहरों की ओर जाने का रास्ता गुजरता है. ऐसे में जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग और स्टेट हाईवे से भारी वाहनों के अलावा यात्री वाहन बड़ी संख्या में गुजरते हैं. इन राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे पर बड़ी संख्या में होटल एवं ढाबे हैं.
हाईवे पर अलग-अलग जगह अलग-अलग व्यवसाय हैं, लेकिन मुख्य रूप से होटल एवं ढाबों पर रुकने वाले वाहनों के चालक-परिचालक और लोगों के भोजन व नाश्ता के अलावा आम दिनचर्या की वस्तुओं की बिक्री मुख्य है, जो बुरी तरह प्रभावित हुई है. कुछ दुकानें तो ऐसी भी हैं, जहां लॉकडाउन से पहले सामग्री खरीदी थी, वह अभी भी पड़ी हुई है.
दुकानें खुली हैं...नहीं आ रहे ग्राहक
इन होटलों और ढाबों के आसपास कई प्रकार की दुकानें हैं. इनमें मुख्य रूप से नियमित रूप से काम में आने वाले सामग्री के अलावा जूते और सजावटी सामग्री आदि का काफी बड़ा व्यवसाय है. बड़े होटलों के आसपास काफी दुकानें खुली हुई हैं, जिससे कि सैकड़ों की संख्या में लोग अपना जीवन-यापन कर रहे हैं. लेकिन लॉकडाउन के दौरान सभी दुकानें करीब 2 महीने तक बंद रही थी. 2 महीनों बाद केंद्र सरकार ने सामग्री परिवहन के कारण भारी वाहनों को अनुमति दी थी, ऐसे में होटल एवं ढाबों को भी खोलने की अनुमति दे दी गई. लेकिन इनका व्यवसाय अब भी ठप पड़ा है.