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चित्तौड़गढ़ः पराली जलाते समय आग लगने से 10 बीघा खेत में गेहूं जलकर राख, मवेशी भी झुलसे - chittorgarh news

चितौड़गढ़ की घोसुंडा और कश्मोर ग्राम पंचायत क्षेत्र में स्थित एक फार्म हाउस पर पराली जलाना उस समय भारी पड़ गया. जब आग फैल कर आसपास के खेतों तक पहुंच गई. इस आग से करीब 50 बीघा तक फैल गई.

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पराली जलाते समय लगी आग

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Published : Apr 18, 2020, 9:20 PM IST

चित्तौड़गढ़.10 बीघा गेहूं की फसल जल कर राख हो गई. खेतों पर बंधे कई मवेशी भी झुलस गए तो पाइप और विद्युत केबल जलने की बात सामने आई है. आग की सूचना पर बड़ी संख्या में लोग मौके पर एकत्रित हो गए. सूचना पर पुलिस भी मौके पर पहुंची और जिला मुख्यालय से दमकल मंगवाई. चार दमकल की सहायता से आग पर काबू पाया गया. यहां फार्म हाउस मालिक पर पराली जलाने का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने मुआवजे की मांग की. फिलहाल घटना को लेकर पुलिस थाने में कोई दर्ज नहीं हुआ है.

पराली जलाते समय लगी आग

जानकारी के अनुसार घोसुण्डा-कश्मोर मार्ग पर रेलवे लाइन के समीप चितौड़गढ़ निवासी भूपेश जैन का फार्म हाउस है. खेत में साझेदार ने फसल लेने के बाद सफाई के लिए आग लगाई. सावधानी नहीं रखने शनिवार दोपहर हवा तेज होने के कारण आग तेजी से आस-पास के खेतों में फैलने लगी. आग से गेहूं की खड़ी फसल के अलावा भूसी तक जलने लगी. हवा तेज होने के कारण आग काफी क्षेत्र में फ़ैल गई. आग की घटना से घोसुण्डा, गाडरियावास, पावटिया, कश्मोर आदि में हड़कम्प मच गया. लोग खेतों में काम कर रहे थे, जो काम छोड़ कर खेतों से भागे.

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वहीं बड़ी संख्या में इन गांवों से ग्रामीण मौके पर दौड़ पड़े. ग्रामीणों ने पहले अपने स्तर पर आग बुझाने का प्रयास किया. लेकिन सफल नहीं हो पाए. इसकी सूचना चंदेरिया थाना पुलिस और चितौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर दी गई. इस पर चितौड़गढ़ नगर परिषद की दमकल मौके पर पहुंची. आग इतनी भीषण थी कि चार दमकल मौके पर बुलानी पड़ गई. फसल जलने से आस-पास के किसान मौके पर पहुंचे और जिनके नुकसान हुआ. उन्होंने पराली जलाने का भारी विरोध किया. यहां काफी देर तक हंगामा भी हुआ.

मामले की सूचना पर थाने से एएसआई हरवीर सिंह मय जाप्ता मौके पर पहुंचे और मुआवजे की मांग कर रहे किसानों से व खेत मालिक से आपसी बातचीत कर उचित मुआवजा की बात को लेकर समझाइश करवाई. इधर, जानकारी मिली है कि आग से गेहूं की खड़ी फसल के अलावा जिन खेतों में भूसी थी. वह भी जल गई. मवेशियों को खिलाने के लिए भूसी तक नहीं बची. कई खेत मालिकों की तो आंखों से आंसू छलक पड़े.

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