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चित्तौड़गढ़: सड़क दुर्घटना में हो गई थी पति की मौत, 10 दिन में बीमा राशि पाकर फफक पड़ी मृतक की पत्नी

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Published : Mar 4, 2021, 7:18 PM IST

चित्तौड़गढ़ में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी ने मात्र 10 दिन में एक दावे का निस्तारण करते हुए इतिहास रचा है. कंपनी ने मृतक की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद उसकी बीमे की राशि गुरुवार को मृतक की पत्नी को सौंप दी.

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चित्तौड़गढ़ में नेशनल कंपनी ने 10 दिन में केस निपटाया

चित्तौड़गढ़. मोटर वाहन दुर्घटना दावे के मामले अक्सर कोर्ट में उलझे दिखाई देते हैं. संबंधित कंपनियां मामले को दस्तावेजों के फेर में उलझकर लंबे समय तक की खींचती रहती है. इसके उलट चित्तौड़गढ़ में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी ने मात्र 10 दिन में एक दावे का निस्तारण करते हुए इतिहास रचा है. मृतक की पत्नी को गुरुवार को कंपनी कार्यालय में क्लेम राशि का भुगतान किया गया.

चित्तौड़गढ़ में नेशनल कंपनी ने 10 दिन में केस किया निपटारा

यह राशि पाकर मृतक नारायण भाई की पत्नी नारायणी देवी फफक पड़ी. शहर के निकट आने वाले नगरी गांव निवासी नारायण लाल भाई ने मोटरसाइकिल की खरीद के वक्त 295 रुपए में 15 लाख रुपए का नेशनल इंश्योरेंस कंपनी से व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा करवाया था. नारायण भाई की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. परिवार के लोगों को मोटरसाइकिल दुर्घटना बीमा की तो जानकारी थी जिसका भुगतान भी हो गया लेकिन उन्हें 15 लाख की व्यक्तिगत दुर्घटना बीमे का कोई पता नहीं था. कुछ दिनों पहले नारायणी देवी के हाथ इंश्योरेंस के कुछ लगे तो वह अधिवक्ता ललित लड्ढा के पास गई.

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अधिवक्ता ने दस्तावेजों को चेक करने के बाद कंपनी को विधिक नोटिस भेजा तो कंपनी ने इसे हाथों हाथ लिया और दस्तावेज सौंपने के महज 10 दिन के भीतर कंपनी ने बीमा राशि 15 लाख रुपए पास कर दिया. सहायक शाखा प्रबंधक प्रदीप दुआ ने बड़ी तेजी के साथ दस्तावेज संग्रहण के साथ तमाम आवश्यक कार्रवाई उनको पूरा किया. कंपनी के शाखा कार्यालय में गुरुवार को वरिष्ठ शाखा पर वरिष्ठ शाखा प्रबंधक हेमंत कुमार गोलछा, अनिल कुमार ओझा, सिसोदिया ऑटोमोबाइल के डायरेक्टर श्रेयांश सिसोदिया आदि ने नारायणी देवी को 15 लाख रुपए की राशि का चेक सौंपा.

वरिष्ठ शाखा प्रबंधक ओझा ने बताया कि महज 10 दिन में हमने टाइम पास कर दिया. चित्तौड़गढ़ के इतिहास में यह सबसे शॉर्ट पीरियड में पास किया गया क्लेम है. अधिवक्ता लड्ढा ने बताया कि कंपनी के इस कदम से एक गरीब महिला को समय पर उसका हक मिल पाया.

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