चितौड़गढ़. साल में 365 दिन रेलवे में सफर करने वाले यात्रियों का पेट भरने वाले रेलवे स्टेशन पर होटल और कैंटीन का संचालन करने वाले वेंडर्स और हेल्पर्स के पेट भरने के लाले पड़ने लगे है. पांच महीने से अधिक समय होने वाला है और ट्रेनों का संचालन पूरी तरह से बंद है. ऐसे में लोग बेरोजगार बैठे हुए हैं और ट्रेनों का संचालन शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं.
रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की भूख मिटाने वाले वेंडर इन दिनों खुद भूखे सो रहे हैं. लॉकडाउन के चलते बंद पड़ी ट्रेनों से अब परिवार का पालन करने के लिए संकट खड़ा हो गया है. अब ये लोग पूरी तरह उधारी पर निर्भर हो चुके हैं. चितौड़गढ़ रेलवे स्टेशन का करीब 130 वर्ष का इतिहास रहा है. पुश्तों से स्टेशन पर काम करने वाले इन वेंडरों कि ना तो रेलवे ने मदद की और ना ही इनको कोई सुविधा दी. रोजाना कमाकर खाने वाले वेंडरों का काम जनता कर्फ्यू लगने के साथ ही 23 मार्च से ठप है. तब से लेकर आज तक वेंडर्स और हेल्पर अपने घरों में ही बैठे हैं.
3 मुख्य स्टेशन जहां 23 यूनिट
जानकारी में सामने आया है कि चितौड़गढ़ जिले के 3 स्टेशन पश्चिम रेलवे रतलाम मंडल में आता है. इनमें चितौड़गढ़, निम्बाहेड़ा और चंदेरिया स्टेशन आता है. चंदेरिया में 1 स्टॉल है. जिस पर 5 कर्मचारी लेकिन ट्रेनें बंद होने से नहीं खुल रही है. चितौड़गढ़ में कुल 23 यूनिट खान-पान के है. 150 के करीब वेंडर्स और हेल्पर हैं. यहां एक आरआर होटल, 10 स्टॉल, 7 हाथ ठेले, 3 मिल्क पार्लर है और 2 एमपीएस है. वहीं निम्बाहेड़ा में 2 स्टॉल और 1 ट्रॉली है, जहां 12 वेंडर्स और हेल्पर है.
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