चित्तौड़गढ़.जिले की तीर्थ नगरी सांवलियाजी में कोरोना के चलते जहां व्यवसाय प्रभावित है. वहीं दूसरी और मंदिर प्रशासन की और से लंबे समय से मंदिर के तीन गेट बंद कर दिए हैं. जिससे इन क्षेत्रों में व्यवसाय करने वाले व्यवसायियों की बुरी हालात है. व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है तो कस्बेवासी भी मंदिर दर्शन करने नहीं जा पा रहे हैं और यात्रियों को भी लंबा चक्कर काटना पड़ रहा है. ऐसे में ऑल राजस्थान दुकानदार महासंघ सांवरिया सेठ इकाई ने गुरुवार को जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. इसमें सांवलिया सेठ मंदिर के सभी द्वार पूर्ववत खुलवाने की मांग की है.
जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ जिले के मण्डफिया कस्बे में स्थित श्री सांवलियाजी मंदिर में चार गेट है, जिनमें से एक बन्द रहता है. वहीं कोरोना काल से पहले ही मंदिर प्रशासन ने दो और गेट बंद कर दिए और सिंहद्वार से प्रवेश शुरू किया. इस व्यवस्था में यात्रियों के अलावा कस्बेवासियों को भी दर्शन करने के लिए लंबा चक्कर काटना पड़ रहा है. ऐसे में बुजुर्गों के अलावा कई लोगों ने मंदिर दर्शन बंद हो गए. इसके अलावा जहां मंदिर के गेट बंद हुए उन बाजारों में श्रद्धालुओं की आवाजाही बंद हो गई. इससे व्यवसाय ठप हो गया. जिसके बाद में कोरोना ने तो कमर ही तोड़ दी. अब स्थिति सामान्य हुई है और श्रद्धालु भी दर्शन करने अच्छी संख्या में आ रहे हैं लेकिन दुकानें नहीं चल रही है. ऐसे में व्यवसायी काफी समय से मंदिर के सभी गेट खोलने की मांग कर रहे थे.
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इसी क्रम में ऑल राजस्थान दुकानदार महासंघ सांवरिया सेठ इकाई, चित्तौड़गढ़ के अध्यक्ष कैलाशचंद्र डाड के नेतृत्व में कुछ व्यवसायी चित्तौड़गढ़ कलक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे और जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. इसमें व्यापारियों ने बताया कि पिछले कई दिनों से व्यवस्थाओं का हवाला देकर मंदिर मंडल बोर्ड एवं मंदिर प्रशासन की और से मंदिर के सारे गेट बारी-बारी से बंद कर दिए गए हैं. इससे दर्शनार्थियों का सुलभ आवागमन बंद हो गया है. मंदिर के सभी दरवाजों (गेट) की तरफ से दुकानदारों का व्यापार भी ठप हो गया. वहीं बहुत सारे दुकानदार (व्यापारी) बेरोजगार हो गए. व्यापारियों ने जिला कलेक्टर से मंदिर के सभी द्वार पहले की तरह खुलवाने, 20 मार्च 2020 से मंदिर दर्शन आरंभ होने तक (कोरोना काल) के समय का दुकान किराया माफ करने, मंदिर मण्डल की दुकानों में पेयजल, शौचालय, वाहन पार्किंग, विद्युत आपूर्ति सुचारू रूप से करवाने, कुरेठा नाके पर किए गए अतिक्रमण हटाने की मांग की गई है.