चित्तौड़गढ़. पुरातत्व विभाग के आदेश के बाद विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग पर आबादी क्षेत्र को छोड़कर शेष में घेराबंदी कर दी गई है. दुर्ग पर आम लोगों की आवाजाही बिल्कुल ही बंद हो गई है. वहीं दुर्ग के प्रवेश द्वार पाडनपोल पर भी बैरिकेडिंग लगाकर गार्ड तैनात किए हैं, जिससे कि स्थानीय लोगों को भी आईडी देख कर ऊपर जाने दिया जा रहा है.
विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग आमलोगों के लिए बंद जानकारी में सामने आया कि कोरोना के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने 2 दिन के वीकेंड कर्फ्यू की घोषणा की है. वहीं इससे पहले ही गुरुवार को पुरातत्व मुख्यालय जयपुर से एक आदेश जारी हुआ था, जिसके अनुसार चित्तौड़ दुर्ग को आगामी 15 मई तक पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है. ऐसे में मुख्यालय के आदेश की पालना में शुक्रवार को चित्तौड़ दुर्ग पर पर्यटकों की आवाजाही को बंद कर दिया गया. यहां वरिष्ठ संरक्षण सहायक आरएल जितवल और फोरमैन तिलक सिंह के निर्देशन में दुर्ग के सभी स्मारकों के ताले बन्द कर गार्ड तैनात कर दिए हैं.
वहीं चित्तौड़गढ़ जिले के लोग जो धार्मिक स्थलों पर दर्शन करना चाह रहे थे, उन्हें भी रोक दिया गया. जानकारी में सामने आया है कि चित्तौड़ दुर्ग पर करीब 3 से 4 हजार की आबादी निवास करती है. इसे देखते हुए आबादी क्षेत्र को छोड़ कर दुर्ग के ऊपर जाने वाले रास्तों पर घेराबंदी कर दी है. इसके लिए बैरिकेड्स लगाकर सिक्योरिटी गार्ड तैनात किए गए हैं.
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दुर्ग पर स्थित जैन मंदिर से पहले भी बैरिकेडिंग लगाकर सिक्योरिटी गार्ड आने जाने वाले लोगों को रोक रहे हैं. इस रास्ते पर दुर्ग की आबादी से आने वाले लोगों की संख्या रहती है. वहीं दुर्ग के प्रवेश पाडनपोल पर भी निजी सिक्योरिटी गार्ड तैनात कर बैरिकेट्स लगा दिए गए हैं. ऐसे में जो स्थानीय दुर्ग के निवासी हैं, उन्हें भी आईडी देख कर दुर्ग पर जाने दिया जा रहा है. यहां दुर्ग पर करीब 4 स्थानों पर बैरिकेडिंग लगाए गए हैं. इधर, जानकारी में सामने आया है कि दुर्ग पर पर्यटन बंद होने से करीब 5000 लोगों का व्यवसाय प्रभावित हुआ है.