चित्तौड़गढ़. जिला स्पेशल टीम की ओर से गत दिनों मादक पदार्थों के खिलाफ की गई कार्रवाई संदेह के घेरे में आ गई है. इस मामले में शिकायत होने के बाद जांच आईजी उदयपुर रेंज की ओर से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) उदयपुर को सौंप दी गई है. जिला स्पेशल टीम के खिलाफ शिकायत मिली है कि गत दिनों की गई कार्रवाई में अफीम की मात्रा कम कर के लेन-देन किया गया था. अब इस पूरे मामले की जांच आईजी के निर्देश पर की जा रही है.
जानकारी में सामने आया कि गत 26 मार्च को जिला विशेष टीम के प्रभारी शिवलाल मीणा के नेतृत्व में हेड कांस्टेबल ललित कुमार, सिपाही लक्ष्मण, राजेश व रामावतार ने हाज्याखेड़ी पुलिया पर एक बाइक सवार डूंगला के आलोद निवासी भैरूलाल अहीर व सेगवा निवासी किशनलाल गाडरी को रुकवा कर बाइक की डिक्की से 2 किलो अफीम बरामद की थी. इन दोनों को गिरफ्तार किया गया और इस मामले की जांच थाना प्रभारी निकुम्भ विनोद मेनारिया को सौंपी गई. इसके बाद जिला स्पेशल टीम ने आलोद गांव में भैरूलाल अहीर के मकान में दबिश दी. यहां बाथरूम से 1 किलो अफीम का घोल बरामद करना बताया था. इस मामले में भैरूलाल के पुत्र ओंकारलाल अहीर को भी गिरफ्तार कर लिया गया था.
इस मामले की जांच मंगलवाड़ थाना प्रभारी विक्रमसिंह को सौंपी गई थी. इस मामले में आरोप लगा है कि जिला स्पेशल टीम ने ज्यादा अफीम पकड़ी थी, लेकिन अफीम की मात्रा कम से कम 2 किलो ही बताया. शिकायत में लेन-देन का आरोप लगाया गया है. यह लेन देन अफीम की कॉमर्शियल मात्रा को कम करने और परिवार की महिलाओं को आरोपी नहीं बनाने की एवज में रुपए लेने की शिकायत की गई थी.
इस मामले की शिकायत को गंभीर मानते हुए आईजी उदयपुर सत्यवीर सिंह ने तुरंत ही इन दोनों मामलों की फाइल को तलब कर जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ग्रामीण (उदयपुर) मुकेश को सौंप दी गई है. गौरतलब है कि पुलिस की ओर से किसी भी एजेंसी की ओर से मादक पदार्थ पकड़ने के मामले में कमर्शियल मात्रा तय की गई है. कमर्शियल मात्रा से कम अफीम पकड़े जाने पर जमानत भी जल्दी हो जाती है और न्यायालय से सजा भी कम मिलती है.