चित्तौड़गढ़. सडूंगला स्थित कस्तूरबा गांधी राजकीय आवासीय विद्यालय में बासी खाना खाने का असर अभी भी खत्म नहीं हो पाया है. पेट दर्द और चक्कर आने की शिकायत पर 7 और बालिकाओं को चित्तौड़गढ़ लाया गया है. उनका जिला चिकित्सालय में उपचार चल रहा है. स्वास्थ्य में सुधार आने पर एक बालिका को छुट्टी दे दी गई.
बालिकाओं की देखरेख में जुटे विद्यालय के टीचर किशोर कटारा ने बताया कि शनिवार सुबह दो बालिकाओं को लाया गया. जबकि कल शाम से रात तक चार बालिकाओं को डूंगला से रेफर किया गया था. एक छात्रा का पहले से ही उपचार चल रहा था. रानी नायक, मीना मीणा, रेखा मेघवाल, अनु मीणा, आशा गुर्जर, उमा भारती और ज्योति भील का उपचार चल रहा है. तबीयत में सुधार आने पर अनु को दोपहर में छुट्टी दे दी गई.
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कटारा के अनुसार इन सबको चक्कर आने और हल्के पेट दर्द की शिकायत है. हालांकि अब उनके स्वास्थ्य में सुधार आ रहा है. छात्रा नीलम का कहना था कि प्रतिदिन इसी प्रकार बचने वाला खाना शाम को दे दिया जाता है. इस बारे में प्रिंसिपल से भी शिकायत की गई, लेकिन उन्होंने भी कोई ध्यान नहीं दिया. डॉक्टर भानु प्रताप सिंह के अनुसार यह फूड पॉइजनिंग का मामला है. बासी भोजन खाने से इस प्रकार की शिकायतें आती हैं.
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गौरतलब है कि 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर स्पेशल डाइट के तहत सुबह दाल-पुरी और चावल दिए गए थे. जिन्हें शाम को भी बालिकाओं को परोस दिया गया. इससे तीन दर्जन से अधिक बालिकाओं की तबीयत बिगड़ गई. जिनमें से 15 को देर रात चित्तौड़गढ़ लाया गया. उपचार के बाद एक-एक कर सब को छुट्टी दे दी गई. लेकिन कल शाम से फिर कुछ बालिकाओं की तबीयत बिगड़ गई. ऐसे में उन्हें डूंगला चिकित्सालय ले जाया गया जहां से उन्हें चित्तौड़गढ़ रेफर कर दिया गया. दो बालिकाओं को आज सुबह रेफर किया गया था.