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चितौड़गढ़: सरकार की छूट लेकिन नहीं खुले सांवलियाजी के बाजार, 5 हजार लोग बेरोजगार

देश में फैले कोरोना वायरस के कारण सरकार ने लॉकडाउन लगाया है. जिसके कारण कई मंदिर भी बंद हैं. वहीं, चितौड़गढ़ के भदेसर उपखंड का सांवलियाजी मंदिर भी लॉकडाउन के कारण बंद था. सरकार के आदेशों के बाद भी यहां लोग नहीं दिखाई देते हैं. यहां के लोगों का व्यवसाय सांवलियाजी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं से जुड़ा हुआ है. ऐसे में करीब 5 हजार लोग अब भी बेरोजगार बैठे हैं.

राजस्थान न्यूज, chittaurgarh news
सांवलिया जी का मंदिर बंद होने के कारण 5 हजार लोग बेरोजगार

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Published : Jun 14, 2020, 3:04 PM IST

चितौड़गढ़. कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते 83 दिन से ज्यादा समय से चल रहे 5वें लॉकडाउन के बाद जिला मुख्यालय सहित जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के बाजार धीरे-धीरे गुलजार होने लगे हैं, लेकिन भदेसर उपखंण्ड के मंडफिया (सांवलियाजी) के बाजार की रौनक अब तक नहीं लौटी हैं. इसका कारण ये है कि सांवलियाजी मंदिर यात्रियों के दर्शन के लिए लॉकडाउन लागू होने के साथ बंद है.

यहां का अधिकांश व्यवसाय सांवलियाजी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं से जुड़ा हुआ है. ऐसे में करीब 5 हजार लोग अब भी बेरोजगार बैठे हैं. जब तक मंदिर में दर्शन शुरू नहीं होंगे और यात्रियों की आवाजाही नहीं बढे़ेगी तब तक यही स्थिति बनी रहेगी. कमोबेश जिले के सभी धर्मिक स्थलों पर यही स्थिति बनी हुई है.

सांवलिया जी का मंदिर बंद होने के कारण 5 हजार लोग बेरोजगार

मंडफिया वासी सांवलियाजी मंदिर पर है निर्भर

जानकारी के अनुसार 22 मार्च को लॉकडाउन लागू हुआ था और 24 मार्च से सांवलियाजी मंदिर के दर्शन यात्रियों के लिए बंद कर दिए गए थे. उसी दिन से यहां के बाजार जिसमें होटल, गेस्ट हाउस, जलपान गृह, भगवान की तस्वीरें, मूर्तियां, वस्त्र और श्रृंगार के आभूषण, मनिहारी, खिलौना और प्रसाद सहित श्रद्धालुओं से जुड़ा हुआ पूरा व्यवसाय चरमरा गया. मंडफिया वासियों के लिए अर्थव्यवस्था का पूरा आधार सांवलियाजी मंदिर पर निर्भर हैं. यहां पर मंदिर में अगर श्रद्धालु आते हैं तो ये बाजार गुलजार रहते हैं. भगवान के प्रति श्रद्धा का ही आलम है कि अब यहां वर्ष में 365 दिन भारी भीड़ रहती है, लेकिन ये पहला अवसर है कि जब यहां का बाजार इस कदर प्रभावित हुआ है.

दुकानदारों के सामने आर्थिक संकट

अमावस्या पर लगती थी लोगों की भारी भीड़

पिछले एक दशक से यहां के बाजार केवल अक्टूबर और दिसंबर माह को छोड़ कर यहां के बाजारों में हमेशा ग्राहकों से रौनक रहती है. विशेष रूप से शनिवार, रविवार चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा एकादशी जैसे विशेष पर्वों पर तो भीड़ लगी रहती है. हर माह की अमावस्या का मासिक मेला भी लगता है. इसमें वैशाख, जेठ आषाढ़ और सावन माह की अमावस्या पर तो श्रद्धालुओं की संख्या लाख से पार हो जाती है. इस वजह से यहां का व्यवसाय काफी फल-फूल रहा है, लेकिन ये 83 दिन यहां के व्यवसायों के लिए दुखदाई साबित हुआ हैं. इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित छोटे व्यवसाई हुए हैं, जो छोटी-छोटी थडियां जिसमें मनिहारी, प्रसाद का व्यवसाय करते हैं. उन लोगों का धंधा पूरी तरह चौपट पड़ा हुआ है.

पढ़ें-लॉकडाउन में सांवलिया सेठ को ड्राफ्ट के जरिए चढ़ावा, भक्त ने भेंट किए 1.38 करोड़

छोटे दुकानदार करने लगे दिहाड़ी मजदूरी

सरकार ने भले ही सभी दुकानें और व्यवसाय खोलने के आदेश दे दिए हो, लेकिन मंडफिया के बाजार में इन दिनों केवल किराना की ही दुकानें खुली हुए हैं. मंदिर और श्रद्धालुओं से जुड़ी सभी दुकानें बंद पड़ी हुई हैं. यहां की कुल जनसंख्या का हर तीसरा व्यक्ति मंदिर और श्रद्धालु के व्यवसाय पर आश्रित हैं. भले ही आने वाले दिनों में किराया माफी मंदिर प्रशासन दे भी दे तो भी, जिनके चूल्हे इसी व्यवसाय से जलते हैं उन्हें ना तो राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ मिल पाया है. ना हीं उन्हें अन्य कई रोजगार मिल पाया है. कुछ दुकानदार तो अब दिहाड़ी मजदूरी भी कर रहे हैं. कुछ मनरेगा में भी काम पर लग गए हैं, लेकिन मूल व्यवसाय पर लौटने में अभी काफी समय बाकी हैं. जब तक मंदिर नहीं खुलेगा तब तक यहां का हर व्यक्ति की अर्थव्यवस्था प्रभावित रहेगी.

मंदिर मंडल के चेयरमैन ने की मंदिर खोलने की मांग

यहां के व्यापारियों की मानें तो दुकानों का किराया और बिजली का बिल भरना ही मुश्किल है. लोग दुकानों के आगे पर्दे लगा कर घरों में बैठ दर्शन खुलने का इंतजार कर रहे हैं. यही स्थिति जिले में स्थित सभी धर्मिक स्थलों की है. इसमें चितौड़गढ़ दुर्ग स्थित कलिकामाता मंदिर, झांतलामताजी, राशमी तहसील में मरमीमाताजी और मातृकुंडिया, भदेसर में आसावरामाताजी में धर्मिकस्थलों के बाजार बंद पड़े हैं. इधर, गांव के पूर्व सरपंच और श्री सांवलियाजी मंदिर मंडल के चेयरमैन कन्हैयादास वैष्णव ने किराया माफी के साथ ही शीघ्र श्रद्धालुओं के लिए दर्शन खोलने की मांग की है.

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