चित्तौड़गढ़. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अचानक कोटा आगमन के बाद आखिरकार प्रशासन हरकत में आया और स्कूल में फंसे बच्चों समेत 254 लोगों को बाहर निकाला गया. वहीं जब तीन दिन बाद बच्चों ने बाहर की दुनिया देखी तो परिजनों की जान में जान आई.
अभियान चला कर रेस्क्यू किए गए 254 लोग बता दें कि प्रताप सागर बांध के 14 गेट खोले जाने के बाद चित्तौड़गढ़ रावतभाटा राजमार्ग अवरुद्ध चल रहा है. वहीं नवनिर्मित पावला पुलिया पर भी पानी चल रहा है. ऐसे में आदर्श विद्या मंदिर के बच्चे स्कूल में ही कैद होकर रह गए. जिनके लिए ग्रामीणों ने खाने-पीने और रहने की व्यवस्था की. सूचना के घंटों बाद भी प्रशासन ने इन बच्चों को निकालने के लिए कोई प्रयास नहीं किया. यहां तक की प्रशासन ने स्कूल में फंसे बच्चों के लिए खाने-पीने और रहने की कोई व्यवस्था नहीं की.
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वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कोटा दौरे पर होने की सूचना के बाद प्रशासन ने स्कूल में फंसे बच्चों को निकालने के लिए आदेश जारी किया. जिसके बाद आपदा सचिव के निर्देशों के बाद जिला कलेक्टर स्वर्णकार अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंची और एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीम भी रावतभाटा पहुंच गई. लेकिन स्कूल के चारों ओर मार्ग बंद होने के कारण दोनों ही टीमों ने संयुक्त तौर पर रेस्क्यू अभियान चलाया. जिसके लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम मध्य प्रदेश के सिंगरौली होते हुए वैष्णो गढ़ पहुंची और वहां से बड़वा का खाल और मोतीपुरा नाला को अपने अभियान का हिस्सा बनाया.
दोनों ही टीमों ने पहले प्रयास के तौर पर कुछ ट्रैक्टर और निजी बस मंगवाई. जिसमें प्रयोग के तौर पर ट्रैक्टरों के पीछे बसों को रखा गया और धीरे-धीरे बसों को पानी के बाहर निकाला गया. वहीं जब यह प्रयोग सफल रहा तो बाद में बच्चों को स्कूल बस में बिठाया गया.
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वहीं इस रेस्क्यू अभियान में दोनों टीमों के साथ में ग्रामीणों ने बच्चों को बाहर निकालने में मदद की और बच्चों को सुरक्षा के साथ दूसरे छोर पर पहुंचाया. जानकारी के अनुसार 254 लोगों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया है. जहां रेस्क्यू अभियान में करीब 4 घंटे तक दोनों टीमों ने कड़ी मेहनत की. जिसके बाद अब रेस्क्यू किए गए बच्चों को सिंगरौली होते हुए ताल और वहां से रावतभाटा पहुंचाया जा रहा है. जहां बच्चों के माता पिता उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.