चितौड़गढ़.देश के प्रधानमंत्री लॉकडाउन के जरिए कोरोना की चेन को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. लाख जतन कर लोगों को घरों में रखने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन ऐसा लगता है कि चित्तौड़गढ़ जिला प्रशासन अब भी कोरोना वायरस को लेकर गंभीर नहीं है.
दूसरे राज्यों से 11,434 लोग चित्तौड़गढ़ में कर चुके हैं प्रवेश जो तस्वीरें सामने आईं हैं उसने साफ कर दिया है कि चाहे सीमाएं सील कर दी जाएं या 144 लगा दी जाए. लेकिन प्रशासनिक अमले की लापरवाही से जिले में बाहरी लोगों का प्रवेश नहीं रुक पाया है. बाहर से आए लोगों में सामान्य सर्दी-जुकाम और सूखी खांसी के लक्षण लगातार सामने आ रहे हैं.
जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ जिले में राशमी, कपासन और डूंगला क्षेत्रों के अधिकांश लोग बाहर और अन्य राज्यों में हाथ ठेला, लॉरी, पावभाजी के व्यवसाय के लिए रहते हैं. गत 23 मार्च को लॉकडाउन लागू होने के बाद 29 मार्च को जिला प्रशासन ने अधिकृत तौर पर जिले की सीमाएं सील कर दी. पैदल वाहन या अन्य किसी माध्यम से लोगों का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित कर दिया. लेकिन इसके बावजूद शिक्षा विभाग की डोर टू डोर सर्वे रिपोर्ट में बड़े चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.
जानकारी मिली है कि 29 मार्च से लेकर 3 अप्रैल के बीच 11,434 लोग जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रवेश कर चुके हैं. जो बाहरी राज्यों से आए हैं. इनमें 5033 लोग वह हैं जो 30 मार्च से लेकर 3 अप्रैल के बीच चित्तौड़गढ़ जिले में आए हैं. स्क्रीनिंग में यह भी सामने आया है कि कुल 1314 लोगों में सर्दी, खांसी और जुकाम के लक्षण पाए गए हैं. इनमें 504 लोग तो वह हैं, जो 30 मार्च से लेकर 3 अप्रैल के बीच चित्तौड़गढ़ जिले में आए हैं. इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि बिना पास के लोगों का सीमा में प्रवेश पूरी तरह से बंद हैं.
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ऐसे में सवाल यह है कि इतनी बड़ी तादाद में लोग जिले की सीमाओं में कैसे प्रवेश कर गए और जब इन व्यक्तियों में सर्दी, जुकाम और खांसी के लक्षण पाए गए हैं, तो इन्हें घरों में क्वॉरेंटाइन क्यों नहीं किया गया. डूंगरपुर और उदयपुर में सामने आया है कि संक्रमित परिजन के साथ रहने वाले परिजन भी इस संक्रमण से नहीं बच पाए हैं. ऐसे में यदि कोई व्यक्ति अन्य जिले या राज्य से आया है और वह संक्रमित होता है, तो उसका संक्रमण अन्य लोगों में नहीं मिलेगा या उसके परिजन सुरक्षित रह पाएंगे, इस बात की जवाबदेही किस प्रकार तय की जाएगी.
इस मामले को लेकर चित्तौड़गढ़ सांसद चंद्रप्रकाश जोशी का कहना है कि इतने लोगों का जिले में प्रवेश कर जाना सीमा की सुरक्षा में चूक को दर्शाता है. इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए. लेकिन अभी बड़ा सवाल यह है कि जो लोग अन्य राज्यों से प्रवेश कर चुके हैं. उनका क्वॉरेंटाइन काल कब पूरा होगा. उनकी घरों में होम आइसोलेशन की स्थितियों को किस प्रकार मॉनिटर किया जाएगा और संक्रमण आने की स्थिति में आखिरकार जवाब देही किसकी होगी. फिलहाल एक बात साफ हो गई है कि पूरे देश में जहां पूर्ण संक्रमण से लड़ने और संक्रमण को तोड़ने की बात कही जा रही है, वहीं चित्तौड़गढ़ में प्रशासन गंभीर नहीं है.