चित्तौड़गढ़.कोरोना संक्रमण के दौरान जहां एक ओर पूरी दुनिया उपचार के लिए विभिन्न पद्धतियों का मुंह ताक रही है. ऐसे में आयुर्वेदिक पद्धति और काढ़ा ही आमजन का साथी बनकर उभरा है. आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति भारत में नहीं ही नहीं बल्कि विदेश में भी काफी लोकप्रिय है, लेकिन सरकार और संबंधित अधिकारियों की लापरवाही के चलते चित्तौड़गढ़ शहर में दुर्ग की तलहटी में पाडनपोल पर 100 वर्ष पुरानी कचहरी में संचालित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय सुविधाओं और उचित देखभाल के अभाव में जर्जर हो रहा है.
चिकित्सालय में तैनात चिकित्सक और कर्मचारी अपने बलबूते पर इसे जैसे-तैसे संचालित करने की कोशिश कर रहे हैं. शहर में पाडनपोल स्थित आयुर्वेद चिकित्सालय में तैनात चिकित्सक डॉ. तरुण कुमार प्रमाणिक ने बताया कि करीब 10 साल पहले यहां मरम्मत का कार्य किया गया था, लेकिन घटिया निर्माण के कारण वह तुरंत ही टूटने फूटने लगा. शिकायत जिला कलेक्टर को भी की गई थी.
उन्होंने बताया कि वर्तमान में यहां चिकित्सा कर्मचारियों की कमी और संसाधनों का भारी अभाव है. चिकित्सा के लिए काम में आने वाले उपकरण भी काफी पुराने हो चुके हैं. यहां पर प्रतिदिन दर्जनों मरीज उपचार लेने पहुंचते हैं. अभी भी भरपूर प्रयास कर पंचकर्म, क्षार सूत्र विधियों से बीमारों का उपचार किया जा रहा है. आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में घुटनों का दर्द, लकवा, सर्वाइकल जैसी कई असाध्य बीमारियों का अचूक उपचार होता है.