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हरा-भरा राजस्थान : झालावाड़ में आखिर क्यों नहीं पौधे रह पा रहे हैं जीवित...वन अधिकारी ने बताए ये वजह - Plantation

ईटीवी भारत ग्रीन भारत की हरा-भरा राजस्थान मुहिम के तहत झालावाड़ में वन विभाग के लक्ष्यों से पीछे रहने का कारण वन अधिकारी ने बताया कि यहां की जमीन पथरीली होने के कारण और नमी नहीं होने के कारण पौधे अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाते हैं. वहीं इस वर्ष झालावाड़ वन विभाग 482 एकड़ में 5 लाख 10 हज़ार पौधे लगाएगा.

झालावाड़ में आखिर क्यों नहीं पौधे रह पा रहे हैं जीवित...वन अधिकारी ने बताए ये वजह

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Published : Jul 6, 2019, 11:48 AM IST

झालावाड़. ईटीवी भारत ग्रीन भारत की हरा-भरा राजस्थान मुहिम के तहत हमने आपको पिछली कड़ी में दिखाया था कि बीते 5 वर्षों में झालावाड़ वन विभाग ने 20 लाख पौधे लगाएं हैं लेकिन उचित देखभाल और रखरखाव नहीं हो पाने के कारण कई पौधे आज नष्ट हो गए हैं. ऐसे में नष्ट हुए पौधो को लेकर व वन विभाग की इस वर्ष की कार्य योजना को लेकर जब हमने झालावाड़ जिले के वन अधिकारी एलएन प्रजापति से बात की तो उनका कहना था कि पौधों के नष्ट होने के पीछे का कारण यह है कि झालावाड़ की जमीन पथरीली है जिसके चलते पौधे को लगाना मुश्किल रहता है.

वहीं जिले की कई क्षेत्रों में जमीन में नमी भी नहीं है. ऐसे में पौधे अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाते हैं और जिले में तापमान भी अधिक रहता है जिसके चलते पौधे गर्मी में नष्ट हो जाते हैं. प्रजापति ने कहा कि वन विभाग के पास पौधों को पानी पिलाने की जिम्मेदारी नहीं होती है. वहीं सुरक्षा को लेकर हम हमारे स्तर पर पर्याप्त व्यवस्था करते हैं. प्रजापति ने कहा कि वन विभाग इस वर्ष झालावाड़ जिले के 682 एकड़ में 5 लाख 10 हजार पौधे लगाएगा.

झालावाड़ से पौधारोपण की ग्राउंड रिपोर्ट

वहीं हरा भरा राजस्थान मुहिम के तहत जब हमने आम जनता से बात की तो उनका कहना था कि पौधारोपण व पर्यावरण संरक्षण को लेकर हमें सिर्फ सरकार और विभागों के ऊपर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को सालाना तीन-चार पौधे अवश्य लगाने चाहिए. खासकर विशेष मौके जैसे कि जन्मदिन, शादी की सालगिरह व अन्य खास मौकों पर जरूर पौधारोपण करना चाहिए ताकि उनकी यादें भी हमेशा के लिए बनी रह सके.

वहीं कुछ लोगों का कहना था कि विभाग के द्वारा सुरक्षा की व्यवस्था नहीं रखी जाती है जिसके चलते पौधे नष्ट हो जाते हैं. ऐसे में अगर विभाग थोड़ा सक्रिय रहे तो पौधे जीवित रह सकते हैं और पर्यावरण भी संतुलित रहेगा.

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