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हरा-भरा राजस्थान : पौधारोपण में उदयपुर नंबर वन...लेकिन इस बार पिछले साल के मुकाबले मिला कम लक्ष्य

मानसून की दस्तक के साथ ही वन विभाग पौधरोपण अभियान शुरू कर चुका है. राजस्थान के उदयपुर में इस साल मानसून के दौरान वन विभाग लगभग साढे चार हजार हेक्टेयर क्षेत्र में पौधरोपण करेगा लेकिन इस बार भी वन विभाग लगभग 60% पौधे कांटेदार और बांस के लगाएगा ताकि जंगली जानवरों से पौधों को सुरक्षित रखा जा सके.

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Published : Jul 8, 2019, 2:11 PM IST

पौधारोपण में उदयपुर नंबर वन

उदयपुर.प्रदेशभर में मानसून की दस्तक के साथ ही वन विभाग ने पौधरोपण का काम शुरू कर दिया है. उदयपुर में भी वन विभाग द्वारा इस बार लगभग साढे चार हजार हेक्टेयर क्षेत्र में पौधरोपण का काम किया जाएगा. उदयपुर के मुख्य वन संरक्षक रामकरण खेरवा की मानें तो पिछली बार उदयपुर जिले में 9,000 हेक्टेयर वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा गया था जो इस साल साढे चार हजार हेक्टेयर है.

उदयपुर के मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि उदयपुर जिले में वृक्षारोपण के दौरान 60% बांस और कांटे वाले पौधे लगाए जाते हैं जबकि 40% पौधे छायादार और फलों के लगाए जाते हैं वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कांटे वाले पौधे लगाने से जंगली जानवरों का खतरा नहीं रहता और वृक्ष जिंदा रहते हैं जबकि छायादार और फलदार पौधों को जंगली जानवरों द्वारा खराब कर दिया जाता है.

बता दें कि पिछले साल की तुलना में इस साल पौधरोपण का लक्ष्य कम रखा गया है जिसका प्रमुख कारण केंद्र द्वारा किसी भी प्रकार की पौध रोपण कलेक्शन नहीं करना है तो साथ ही नाबार्ड द्वारा भी इस साल वृक्षारोपण का लक्ष्य अब तक तय नहीं किया गया. जिसके चलते सिर्फ वन विभाग अपने स्तर पर ही पौधरोपण कर रहा है और साढे चार हजार हेक्टेयर क्षेत्र में इस बार भी पौधरोपण किया जाएगा.

पौधारोपण में उदयपुर नंबर वन...लेकिन इस बार पिछले साल के मुकाबले मिला कम लक्ष्य

वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो उदयपुर में सघन वृक्षारोपण लंबे समय से किया जा रहा है जिसका नतीजा है कि उदयपुर के जंगल हरे भरे हो गए हैं और यही कारण है कि पौधरोपण में राजस्थान में उदयपुर नंबर वन है.
मानसून की दस्तक के साथ ही उदयपुर जिले में पौधरोपण की शुरुआत हो गई है इस बार उदयपुर वन विभाग द्वारा लगभग साढे चार हजार हेक्टेयर क्षेत्र में पौधरोपण किया जाएगा इस बार भी वन विभाग 60% से 65% पौधे बांस और कांटेदार लगाएगा ताकि जंगली जानवरों द्वारा इन्हें खत्म ना किया जा सके तो साथ ही पानी की किल्लत में भी पौधे जिंदा रह सकें जबकि 40% पौधे ही छायादार और फलदार लग सकेंगे जिनका सीधा फायदा आम जनता को होता है.

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