झुंझुनू. नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर शेखावाटी के खिलाड़ियों ने लंबे समय तक धाक जमाई है लेकिन रग्बी जैसे खेल को यहां के लोगों ने टीवी पर ही देखा था. लोग यह तो जानते थे कि इस खेल में एक लंबी अंडाकार कोई फुटबॉल जैसी चीज को खिलाड़ी लेकर गोल करने के लिए भागते दौड़ते है. लेकिन इसमें कैरियर बनाने के बारे में ना तो पेरेंट्स और ना ही प्लेयर सोचते थे.
रग्बी में झुंझुनू के खिलाड़ियों की कहानी आपको कर देगी रोमांचित प्लेयर परंपरागत खेल फुटबॉल, क्रिकेट, कबड्डी और एथलेटिक्स में ही लगे हुए थे. इस बीच अपने पति के साथ ताइक्वांडों की क्लास चलाने वाली संगीता योगी ने देखा कि उनके कुछ खिलाड़ियों में दौड़ को लेकर अलग ही स्ट्रैंथ है. अच्छी जंपिंग ले रहे हैं. जिससे उन्होंने रग्बी का खेल शुरू करने का फैसला किया. जिसके चलते आज रग्बी में राजस्थान की टीम में आधे खिलाड़ी झुंझुनू से हैं.
रग्बी के लिए बिल्कुल फिट है यहां के खिलाड़ी
शेखावाटी में मूल रूप से दूध ,दही और देसी खाने का चलन होने की वजह से यहां के लोग हट्टे कट्टे होते हैं. वहीं लंबे समय तक खेती से जुड़े होने की वजह से उनके खून में हार्ड वर्क होता है. रग्बी जैसे खेलों के लिए यहां के खिलाड़ी बिल्कुल फिट होते हैं. अब कोई नई बात नहीं की अचानक नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर यहां का कोई खिलाड़ी उभरकर सामने आए और मेडल ले जाए.
बता दें कि छोटे-छोटे बच्चे इसके लिए पूरी ताकत से लगे हुए हैं और उनका जुनून देखते हुए ऐसा लग रहा है कि जल्दी ही कोई बड़ा मैडल उनके खाते में आ सकता है. इनमें से कई बच्चे तो ऐसे हैं कि निर्धारित आयु पूरी होने से पहले ही इसकी प्रैक्टिस में जुटे हुए हैं. ऐसे में उनको टूर्नामेंट में इसलिए जगह नहीं मिल पा रही है क्योंकि उनकी आयु वर्ग में निर्धारित उम्र नहीं हुई है. लेकिन ऐसे में उनका जुनून निश्चित ही सफलता दिलवाएगा.