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संविदा कर्मियों को नियमित करने की मांग, संगठन के पुनर्गठन पर भी हुई चर्चा

संविदाकर्मियों को नियमित करने की मांग और संगठन के पुनर्गठन को लेकर अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत की बैठक आयोजित हुई जिसमें एक मांग पत्र को सरकार को सौंपने और लागू करवाने पर चर्चा भी की गयी.

संविदा कर्मियों को नियमित करने की मांग, संगठन के पुनर्गठन पर भी हुई चर्चा

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Published : Jun 9, 2019, 7:56 PM IST

जयपुर.अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत एक बैठक रविवार 9 जून को जयपुर स्थित जलदाय विभाग मुख्यालय जल भवन के विश्राम गृह में हुई. यहां कर्मचारियों की 11 लंबित मांगों पर चर्चा की गई. इस बैठक में मंत्रालयिक कर्मचारियों, तकनीकी कर्मचारियों, शिक्षक वर्ग, नर्सिंग कर्मचारियों और संविदा कर्मियों की मांगों पर मंथन किया गया.

संविदा कर्मियों को नियमित करने की मांग, संगठन के पुनर्गठन पर भी हुई चर्चा

बैठक में प्रदेशभर से आए जिला अध्यक्ष और कार्यकारी पदाधिकारियों ने अपने अपने विचार रखे. उन्होंने संगठन में तहसील स्तर से ही जिला स्तर तक पुनर्गठन की आवश्यकता भी बताइए. बैठक में अधिकांश कर्मचारियों ने अपनी पीड़ा जताई और कहा कि सातवें वेतन आयोग के बाद उनके वेतन में भारी कटौती हो गई है.

महामंत्री संतोष विजय ने बताया कि बैठक में संगठन के पुनर्गठन पर भी विचार-विमर्श किया गया. उन्होंने बताया कि बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि तहसील स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के चुनाव को कार्यक्रम घोषित कर दिया जाएगा.

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र सिंह ने बताया कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बाद महासंघ की यह पहली बैठक है और इसमें लंबित मांगों को लेकर चर्चा की जाएगी और उसमें कुछ संशोधन होगा तो किया जाएगा. उन्होंने कहा कि चुनाव में वर्तमान सरकार ने जो भी वादे किए थे उनको पूरा कराने के लिए अपनी मांग सरकार के सामने रखेंगे.

उन्होंने बताया कि चुनाव के दौरान उन्होंने संविदा कर्मियों और कर्मचारियों के वेतन विसंगति को दूर करने का वादा किया था और आश्वस्त किया था कि सरकार बनने के बाद उनकी मांगे पूरी की जाएगी. उन्होंने कहा कि सभी से चर्चा कर कर यह मांग पत्र तैयार किया जाएगा और फिर सरकार को दिया जाएगा.

महेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी प्रमुख मांग है कि संविदा कर्मी जो ठेके पर काम करता है, जिसका अल्प वेतन है, उसे समान काम के समान वेतन दिया जाए. उसका नियमितीकरण भी किया जाए. ऐसी घोषणा भी सरकार ने अपने मेनिफेस्टो मे की थी. हमे पूरा विश्वास है सरकार हमारी मांगे जरूर मानेगी. अगर नहीं मानेगी तो सभी से चर्चा कर गांधीवादी तरीके से अपनी मांग सरकार के सामने रखी जाएगी.

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