बीकानेर.5 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में राजस्थान में सत्ता में रही भाजपा को बेदखल करते हुए जनता ने कांग्रेस को सत्ता की चाबी सौंपी थी. इन चुनावों में मोदी और वसुंधरा का फैक्टर रहा इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता.
दरअसल, जिस प्रकार का चुनाव परिणाम लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सामने आया उससे साफ है की जनता ने वसुंधरा राजे को सत्ता से बेदखल करने और मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए 5 महीने के भीतर ही अपने मूड और मानस को बदला है. राजस्थान के चुनाव परिणाम की तरह बीकानेर का लोकसभा चुनाव परिणाम भी कमोबेश ऐसा ही रहा है.
बीकानेर लोकसभा सीट की आठों विधानसभा क्षेत्र में भाजपा रही आगे 5 महीने पहले विधानसभा चुनाव में बीकानेर की 7 में से 4 सीटें हारने वाली भाजपा ने हिसाब चुकता करते हुए लोकसभा में जिले की 7 और संसदीय क्षेत्र की 8 सीटों पर जीत दर्ज की है. राज्य सरकार के दो मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों के साथ ही पूर्व नेता प्रतिपक्ष के विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस बड़े अंतर से पीछे रही है. विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा जीती वहीं लोकसभा चुनाव में जीत के अंतर को भी बढ़ाया और जहां कांग्रेस जीती वहां भी कांग्रेस को पछाड़ते हुए लोकसभा चुनाव में बढ़त हासिल की. आइए बीकानेर संसदीय क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों पर विधानसभा और लोकसभा चुनाव के तुलनात्मक चुनाव परिणाम पर एक नजर डालते हैं.
श्रीकोलायत
विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार कांग्रेस सरकार उच्च शिक्षामंत्री भंवर सिंह भाटी ने जीत हासिल की. भंवर सिंह भाटी 5 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में 11,000 वोटों से जीते थे लेकिन इस बार कद्दावर नेता देवीसिंह भाटी भी अर्जुन मेघवाल के विरोध में आ गए और भाजपा को छोड़ दिया. ऐसे में कोलायत में दोनों ही धड़े अर्जुन मेघवाल के विरोध में कहे जा सकते हैं लेकिन बावजूद इसके अर्जुन मेघवाल करीब 1,800 वोटों से आगे रहे. हालांकि श्रीकोलायत में लोकसभा का मतदान प्रतिशत भी कम ही रहा.
बीकानेर पश्चिम
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला की परंपरागत सीट बीकानेर पश्चिम से इस बार विधानसभा चुनाव में कांटेदार मुकाबले में कला 6,190 वोट से विजयी रहे थे लेकिन लोकसभा चुनाव में मोदी मैजिक के सहारे मतदाताओं पर असर करते हुए 40,802 वोटों से बढ़त हासिल कर पिछले हिसाब को चुकता कर दिया.
बीकानेर पूर्व
2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई बीकानेर पूर्व विधानसभा सीट पर लगातार तीन बार भाजपा का ही कब्जा रहा है और कांग्रेस इस सीट पर कभी जीत नहीं पाई. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर मुकाबले को खड़ा कर दिया और भाजपा की परंपरागत मानी जाने वाली इस सीट पर महज 7,000 वोटों से कांग्रेस चुनाव हार गई. लेकिन लोकसभा चुनाव में अपने वजूद को कायम रखते हुए भाजपा यहां तकरीबन 43,000 वोटों से आगे रही.
खाजूवाला
बीकानेर की सबसे बड़ी जीत इस सीट पर कांग्रेस के खाते में रही. यहां कांग्रेस के गोविंद मेघवाल विधानसभा चुनाव में 31,000 वोट से जीते और परिसीमन के बाद इस सीट पर पहली बार कांग्रेस का खाता खोला. लेकिन 5 महीने में ही यहां कांग्रेस का क्रेज खत्म होता नजर आ रहा है. दरअसल इस सीट पर खुद भाजपाइयों को भी बढ़त की उम्मीद नहीं थी लेकिन भाजपा ने यहां 18,000 से ज्यादा वोटों की लीड लेकर सियासी चर्चाओं को बल दे दिया है. गौरतलब है कि खाजूवाला विधायक गोविंद मेघवाल की पुत्री और खाजूवाला प्रधान सरिता चौहान कांग्रेसी लोकसभा चुनाव में टिकट की दावेदार थी लेकिन उनकी जगह मदन गोपाल मेघवाल को टिकट मिला ऐसे में इस सीट पर 5 महीने में ही भाजपा के वोट बैंक में 50,000 का इजाफा कांग्रेस के खेमे में चर्चाओं को जन्म दे गया.
लूणकरणसर
करीब 11,000 वोटों से भाजपा के सुमित गोदारा ने विधानसभा चुनाव में यहां जीत दर्ज की थी. लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने प्रदर्शन को और सुधारते हुए जीत के अंतर को दोगुना कर दिया.
श्रीडूंगरगढ़
बीकानेर जिले में भाजपा के विधानसभा चुनाव में सबसे खराब प्रदर्शन श्रीडूंगरगढ़ में रहा. यहां भाजपा और कांग्रेस दोनों को पछाड़ते हुए माकपा के गिरधारी महिया ने यहां से चुनाव जीता था और भाजपा यहां तीन नंबर पर रही थी. लेकिन लोकसभा चुनाव में माकपा के प्रत्याशी की खड़े होने के बावजूद भी भाजपा यहां से कांग्रेस से 25,000 वोटों की लीड लेने में सफल हुई.
अनूपगढ़
बीकानेर लोकसभा सीट की आठवीं विधानसभा और श्रीगंगानगर जिले की अनूपगढ़ सीट पर भाजपा को मिली बढ़त अर्जुन मेघवाल की लाखों की जीत में बड़े अंतर की रही. सीमावर्ती क्षेत्र अनूपगढ़ में भाजपा की जीत के अंतर से आधे वोट भी कांग्रेस को नहीं मिले. यहां भाजपा को 1,26,172 वोट मिले तो कांग्रेस को 42,747 वोट ही मिले. विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली जीत से 4 गुना ज्यादा लोकसभा चुनाव में भाजपा की यहां से बढ़त रही.