झुंझुनू. बंका का जोहड़ तो मुख्य सड़क पर स्थित है और इसलिए इस जोहड़़ को पक्का बना दिया गया लेकिन जोहड़ी में जल सरंक्षण का कार्य समय के साथ-साथ विलुप्त होता गया. गांव के लोग बताते हैं कि एक समय ऐसा था कि यहां सैकड़ों पशु पानी पीते थे. गांव के किसान भी खेतों में जाते वक्त यही से पानी भरकर ले जाते थे. गांव के युवा भी जोहड़ी में नहाने के लिए चले जाते थे.
समय बदला तो जरूरतें बदल गई
समय बदला और किसानों के खेतों में ट्यूबवेल हो गए, जल सरंक्षण की प्राचीन परंपरा भी धीरे-धीरे विलुप्त होने लगी और देखते ही देखते यह जोहड़ी मे मिट्टी भरने लग गयी. ऐसे में अब इसमें ना तो पानी भरता है और ना ही विदेशी पक्षी प्रवास के लिए आते हैं. हालांकि अब भी आप इस जोहड़ी में आएंगे तो आपको पता लग जाएगा कि किस तरह से यहां पानी भरता होगा क्योंकि मिट्टी भरने के बाद भी पानी भरने के निशान आज भी इस जोहड़ी में दिखाई देते हैं. लगभग 100 बीघा की इस जोहड़ी में अब जल सरंक्षण के नाम पर भले ही कुछ नहीं बचा हो लेकिन पुराने लोगों की याद में अब भी पानी भरी हुई जोहड़ी की यादें जरूर है.