जयपुर. प्रदेश में राष्ट्रीय पक्षी मोर की तादाद घटने लगी है. राष्ट्रीय पक्षी मोर की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर जयपुर के फॉरेस्ट्री ट्रेनिंग सेंटर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो नई दिल्ली की ओर से आयोजित कार्यशाला में वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हुए. प्रदेश में राष्ट्रीय पक्षी मोर के मौजूदा हालात को लेकर वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो और वन विभाग के अधिकारियों के बीच चर्चा हुई. कार्यशाला में मौजूद वन्यजीव प्रेमियों और वाइल्डलाइफ एनजीओ के प्रतिनिधियों ने मोर की सुरक्षा और उसके महत्व के बारे में बताया. साथ ही किस तरह से मोर के शिकार को रोका जाए और कैसे उसकी सुरक्षा की जाए, इस संबंध में भी वन कर्मियों को जानकारी दी गई.
प्रदेश में घटते मोर पर जताई चिंता...सुरक्षा और संरक्षण को लेकर दी अहम जानकारी
प्रदेश में राष्ट्रीय पक्षी मोर की तादाद घटने लगी है. राष्ट्रीय पक्षी मोर की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर जयपुर के फॉरेस्ट्री ट्रेनिंग सेंटर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया...
इस मौके पर वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए सराहनीय कार्य करने वाले वन्यजीव प्रेमियों को सम्मानित भी किया गया. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर ने बताया कि मोर की सुरक्षा के लिए सबसे पहले जन जागृति फैलाने की आवश्यकता है. वन्यजीवों की सुरक्षा करना वन विभाग की ही नहीं बल्कि आमजन की भी जिम्मेदारी है. वन कर्मियों को कार्यशाला के माध्यम से वन अधिनियम के बारे में जानकारी दी गई है, कि किस अपराध की क्या सजा होती है. साथ ही वन अधिनियम के क्या-क्या प्रावधान हैं, ताकि यह जानकारियां आमजन तक पहुंचे तो अपराध पर भी नियंत्रण होगा. वहीं, वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट बाबूलाल जाजू ने बताया कि वन विभाग और पुलिस की जिम्मेदारी है कि अगर कोई वन्यजीवों का शिकार करता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करके नियमों के अनुसार सजा दिलानी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह वन विभाग एक्शन में आ जाए तो मोर को जहरीला दाना लेकर मारने का सिलसिला भी थम सकता है.
नियमों के अनुसार कार्रवाई नहीं होने से शिकारियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय पक्षी मोर की जनसंख्या केवल 40 प्रतिशत ही रह गई है. खाने की कमी से भी मोर खेतों में जाकर जहरीला और कीटनाशक दवाई लगा दाना चुग लेते हैं. जिससे मोरों की संख्या कम हो रही है. उन्होंने कहा कि मोरो को बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे भी लगाने की आवश्यकता है ताकि उनको अपना सुरक्षित घर मिल सके. वन्यजीव प्रेमी सूरज सोनी ने बताया कि प्रदेश में मोरों की संख्या में इजाफा होने के बजाय इनकी संख्या घटती जा रही है. इस कार्यशाला के माध्यम से मोर को बचाने के साथ ही कई विलुप्त होने वाली वन्यजीवों की प्रजातियों के बारे में भी चर्चा की गई. इस दौरान वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के रीजनल डिप्टी डायरेक्टर ए रॉय चौधरी ने बताया कि मोर के पंखों की बाजार में काफी डिमांड है. जिसकी स्मगलिंग भी काफी होती है. हालांकि मोर के पंख एक्सपोर्ट पर सरकार ने बैन कर रखा है. मोर की सुरक्षा और संरक्षण के लिए सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है.