नागौर. पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, जागरूकता की कमी और बेतहाशा बढ़ती खनन गतिविधियों के बीच नागौर जिले में हर साल करीब चार लाख पौधे मानसून सीजन में लगाए जाते हैं. सरकारी अभियान की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बारिश में रोपे गए कितने पौधे जीवित हैं. इसकी सुध उन पौधों को लगाने वाले विभाग तक नहीं लेते हैं. हालांकि, वन विभाग की ओर से लगाए गए पौधों में जो खराब हो जाते हैं. उनकी जगह नए पौधे लगाए जाते हैं. इस साल मानसून में नागौर जिले में 4 लाख 60 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य है. इनमें से दो लाख 60 हजार सरकारी विभागों की ओर से लगाए जाएंगे. जबकि दो लाख पौधे आमजन को देने के लिए वन विभाग ने अपनी नर्सरियों में तैयार करवाए हैं. इस बार हर ग्राम पंचायत द्वारा 100-100 पौधे लगाकर उनकी नियमित देखभाल करने की व्यवस्था तय की गई है. इससे नागौर जिले की 467 ग्राम पंचायतों में करीब 50 हजार पौधे लगेंगे.
हरा-भरा राजस्थान : नागौर में हर साल लगाए जाते हैं लाखों पौधे...लेकिन कितने जीवित है, इसकी सुध किसी को नहीं - Environment Protection
पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तानी जिलों में शुमार नागौर में हर साल मानसून के सीजन में करीब चार लाख पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन उनमें से कितने पौधे पेड़ों के रूप में पनपते हैं. यह देखने वाला कोई नहीं है. हालांकि, वन विभाग की ओर से लगाए पौधों में से जो पौधे जल जाते हैं, उनकी जगह अगले साल नए पौधे लगाए जाते हैं. लेकिन बाकी विभागों द्वारा लगाए पौधों में से कितने बचे. यह किसी को पता नहीं.
पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने और पौधरोपण को बढ़ावा देकर पौधों की नियमित देखभाल के लिए ई टीवी भारत की ओर से हरा-भरा राजस्थान मुहिम चलाई जा रही है. इस मुहिम के माध्यम से सरकारी प्रयासों से इतर आमजन को पौधरोपण और पर्यावरण संरक्षण की मुहिम से जोड़ा जाएगा.
नागौर में पेड़ों को नुकसान की एक बड़ी वजह खनन गतिविधियां भी हैं. ऐसे में खनन गतिविधियों से सरकार को होने वाली आय का एक हिस्सा भी इस साल नागौर में पौधरोपण को बढ़ावा देने के लिए खर्च किया जा रहा है. वहीं, ईटीवी भारत की हरा-भरा राजस्थान मुहिम के तहत जिले में अधिक से अधिक पौधरोपण करवाया जाएगा. इसके साथ ही पौधों की नियमित देखभाल के लिए भी लोगों को जागरूक किया जाएगा.