बता दें कि स्वाइन फ्लू के बढ़ते प्रकोप के बीच दोनों ही नेता एक दूसरे को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. हाल ही में स्वाइन फलू के बढ़ते प्रकोप को लेकर सराफ ने चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के इस्तीफे की मांग कर डाली तो शर्मा ने सराफ के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की परते खोलने की चेतावनी दे दी.
जिसपर सराफ ने कहा कि वो रघु शर्मा के गीदड़ भभकी से डरने वाले नहीं है. सराफ के अनुसार शर्मा चेतावनी नहीं दे बल्कि जांच कराए,उन्हें कौन रोकता है. कालीचरण सराफ ने इस दौरान कहा कि रघु शर्मा मेरे कार्यकाल की जांच के साथ अजमेर ब्लैकमेलिंग कांड की जांच भी करवाएंगे .जिसमें लोग बताते है कि वो खुद ही मुख्य कर्ता-धर्ता रहे हैं.
सराफ के अनुसार 1998 में जब शर्मा यूवक कांग्रेस के अध्यक्ष थे तब अजमेर ब्लैकमेलिंग कांड हुआ था और लोग कहते है कि इसमें रघु शर्मा ही मुख्य कर्ता धर्ता थे. सराफ के अनुसार प्रदेश में एक माह के दौरान स्वाइन फ्लू से 90 से अधिक मौते हो गई और इसमें सुधार के लिए मैने रघु शर्मा को महज रचनात्मक सुझाव दिया था लेकिन वो मुझ पर ही जुबानी हमला बोल रहे हैं लेकिन मैं इससे डरने वाला नहीं हूं.
गौरतलब है कि स्वाइन फ्लू पर शुरू हुई इस जुबानी जंग में दोनों ही नेता लगातार एक दूसरे पर जुबानी हमला बोल रहे हैं .लेकिन अब इस सियासी जंग में स्वाइन फ्लू का प्रकोप गौण हो चुका है और व्यक्तिगत छीटाकंशी तेज हो रही है.इस बीच न तो मौजूदा चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने वसुंधरा राजे सरकार के चिकित्सा मंत्री रहे कालीचरण सराफ के कार्यकाल में हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच शुरू की और न ही इसके लिए स्वास्थ्य महकमें में कोई समिति बनाई। ऐसे में आरोप प्रत्यारोप महज सियासी मकसद पूरा करने वाले ही बनकर रह गए हैं.