जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर तहसीलदार को राहत देते हुए रिश्वत मामले में एसीबी में दर्ज एफआईआर की जांच की सीमा स्थगित कर दी है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की एकलपीठ ने यह आदेश याचिकाकर्ता गजेंद्र गोयल की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.
याचिका में अधिवक्ता धर्मवीर ठोलिया और हिमांशु ठोलिया ने अदालत को बताया कि कालू सिंह ने एसीबी में गत 14 फरवरी को सूचना दी थी कि उसका साहूकारी लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए रिपोर्ट पक्ष में भेजने के नाम पर तहसीलदार का ड्राइवर ₹5000 मांग रहा है. वहीं तहसीलदार का रीडर भी मिलीभगत में शामिल है. मामले में एसीबी ने 19 फरवरी को एफआईआर दर्ज कर रीडर विजय कुमार को ₹4000 लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था. वहीं तहसीलदार को भी संदेह में रखा गया. याचिका में कहा गया है कि प्रकरण में एसीबी कोर्ट से याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत मिल चुकी है. वहीं एफआईआर दर्ज होने से 1 दिन पूर्व ही उसने कालू सिंह की रिपोर्ट एसडीएम को भेजी थी. साथ ही तहसीलदार ने कोर्ट में दाखिल की याचिका में कहा है कि मैंने ना तो रुपए मांगे, और ना ही मुझसे किसी तरह की बरामदगी हुई है. ऐसे में याचिकाकर्ता की सीमा तक एफआईआर को रद्द किया जाए.
ललित मोदी के प्रकरण में कोर्ट ने दिए पुनः सुनवाई करने का आदेश
जयपुर अतिरिक्त सत्र न्यायालय क्रम 16 ने राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन की मीटिंग के दौरान मारपीट के मामले में ललित मोदी की स्थाई हाजिरी माफी स्वीकार करने से जुड़े मामले में निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने निचली अदालत को प्रकरण में पुनः सुनवाई करने को कहा है. अदालत ने यह आदेश अनिल सिंह शेखावत की ओर से दायर निगरानी अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिए.