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हरा-भरा राजस्थान : बीते 10 सालों में झुंझुनू में बढ़ा वन क्षेत्र...इसकी यह है वजह

बीते 10 सालों में झुंझुनू में हरा-भरा क्षेत्र बढ़ा है क्योंकि लोगों ने जलाने के लिए लकड़ियों की बजाय गैस का उपयोग करना शुरू कर दिया है. वहीं यदि कोई लकड़ी जलाता भी है तो यहां के वन क्षेत्र में प्रमुखता से शामिल बबूल की लकड़ी काम में लेते हैं जो झाड़ियों के रूप में हैं.

बीते 10 सालों में झुंझुनू में बढ़ा वन क्षेत्र

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Published : Jul 3, 2019, 7:28 PM IST

झुंझुनू.सम मरुस्थलीय जिलों में शामिल और अरावली की पहाड़ियों को भी समेटे झुंझुनू जिले के लिए खुशखबरी है कि समय के साथ उसका वन क्षेत्र बढ़ रहा है. हरियाणा की सीमा लगने से तस्करी का जोर होने के बावजूद वन क्षेत्र का बढ़ना यह बताता है कि आम जनता में पर्यावरण के प्रति जागरूकता है तो साथ ही कहीं ना कहीं वन विभाग और अन्य सरकारी एजेंसियों के प्रयास भी रहे हैं.

इंडिया स्टेट फॉरेस्ट रिपोर्ट 2017 के अनुसार झुंझुनू जिले में 196 स्क्वायर किलोमीटर वन क्षेत्र है जबकि इसी एजेंसी की 2007 की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 193 स्क्वायर किलोमीटर में वन क्षेत्र था. जिले में 3 31% क्षेत्र हरा-भरा भरा है. पहले 2007 में 3.26 प्रतिशत क्षेत्र हरा-भरा था.

बीते 10 सालों में झुंझुनू में बढ़ा वन क्षेत्र...इसकी यह है वजह

झुंझुनू जिले का वन क्षेत्र का यह रिकॉर्ड

झुंझुनू जिले का 5,928 स्क्वायर किलोमीटर का ज्योग्राफिकल एरिया है और इसमें से 21 स्क्वायर किलोमीटर मोर डीप फॉरेस्ट, 175 स्क्वायर किलोमीटर का ओपन फॉरेस्ट है. वहीं पर यदि स्क्रब यानी झाड़ियों वाले क्षेत्र की बात की जाए तो यह 188 स्क्वायर किलोमीटर है.

जिले के क्षेत्र की बात की जाए तो उदयपुरवाटी व खेतड़ी ही बड़ा वन क्षेत्र है. उदयपुरवाटी के पास हरी-भरी वादियों के मध्य विश्व का प्रसिद्ध लोहार्गल तीर्थ स्थल भी है. बारिश के समय यहां जाने पर बिल्कुल भी प्रतीत नहीं होता कि राजस्थान या सम मरुस्थल जिले में हैं बल्कि यह पूरी तरह से उत्तराखंड के जिलों की तरह लगता है. यहीं पर एक और अन्य पर्यटन पर्यटन स्थल कोट बांध है ,जहां पर बारिश के दिनों में बड़ी संख्या पर सैलानी घूमने-फिरने आते हैं.

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