जयपुर/प्रयागराज: बीते साल 2018 में रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ ने ग्रुप-डी की भर्ती परीक्षा निकाली थी जिसका दूसरा चरण अब 26 मार्च से शुरू हुआ. प्रयागराज के डीएसए ग्राउंड पर इसके लिए फिटनेस टेस्ट हुआ जिसमें युवाओं में सरकारी नौकरी की लालसा को साफ देखा गया. सरकारी नौकरी की लालसा कहें या फिर बेरोजगारी की पीड़ा, रेलवे की इस सबसे छोटी नौकरी के लिए यूपी के बलिया से आए डिप्लोमा इंजीनियर आलोक यादव 35 किलो रेत की बोरी सिर पर लेकर दौड़ने कौ तैयार हैं. उन्होंने कहा कि दो साल से जेई की भर्ती नहीं निकली है, क्या करें कहां जाएं? रेलवे की ग्रुप डी के लिए शैक्षिक योग्यता 10वीं रखी गई है.
आलोक बताते हैं कि गाजियाबाद के राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज से उन्होंने 2016 में सिविल से पढ़ायी पूरी की थी. उनकी प्रदेश में 800वीं रैंक आई थी, लेकिन किसी सरकारी विभाग में दो साल से जेई की भर्ती नहीं आई और घर का दबाव है. ऐसे में चतुर्थ श्रेणी की नौकरी करने के लिए तैयार हो गए. वहीं, आजमगढ़ के दयाशंकर भी सिविल इंजीनियरिंग में राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज कानपुर से 2016 में डिप्लोमा करके निकले हैं. योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिली तो रेलवे ग्रुप डी के लिए आवेदन कर दिया. दयाशंकर लिखित परीक्षा पास कर चुके हैं और अब बारी है रेत की बोरी लेकर दौड़ने की.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भूगोल में पीजी कर चुके अवधेश सिंह ने तो पीसीएस का प्री दिया है, लेकिन सरकारी नौकरी की चाह में वे भी ग्रुप डी के आवेदक बन गए. कहते हैं कि पीसीएस में लंबा इंतजार झेलना होता है, जबतक हाथ में बड़ी नौकरी नहीं छोटी ही सही. सहारनपुर के नदीम अहमद मेरठ विश्वविद्यालय से स्नातक हैं. वे रेलवे की सहायक लोको पायलट और आरपीएफ परीक्षाएं देकर ग्रुप डी के लिए शारीरिक परीक्षा देने आए.