बीकानेर.दसवीं की परीक्षा की खत्म होने के साथ ही बच्चों और उनके अभिभावकों की चिंता शुरू हो जाती है कि बोर्ड के एग्जाम के बाद अब बच्चा किस राह को पकड़े हालांकि बच्चे का दसवीं तक का रुझान और उसका अपनी पढ़ाई के प्रति लगाव बता देता है उसको किस राह को चुनना चाहिए लेकिन बावजूद इसके कई बार अपने बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए माता-पिता भी उसके निर्णय में अपनी इच्छा को थोप देते हैं. शिक्षा के महत्वपूर्ण माने जाने वाले पहले पड़ाव के रूप में दसवीं की परीक्षा होती है. इस वक्त चुनी हुई राह बच्चे के भविष्य को क्या करती है और इसी को लेकर बीकानेर में ईटीवी भारत ने एक्सपर्ट और अभिभावकों के साथ ही बच्चों से बात की.
राजस्थान में कोटा और सीकर के बाद बीकानेर में मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग इंडस्ट्री बन रही है. इसी को लेकर विद्यार्थियों में यहां रुझान दिख रहा है और पिछले एक दशक में बीकानेर में मेडिकल और इंजीनियरिंग के प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए काफी कोचिंग सेंटर शुरू हुए हैं. बीकानेर के एजुकेशन एक्सपर्ट मनोज बजाज कहते हैं कि आजकल मेडिकल और इंजीनियरिंग को लेकर अभिभावक ज्यादा सक्रिय हैं और बच्चे भी इसी और रुझान कर रहे हैं लेकिन किसी भी क्षेत्र में अपने भविष्य को बनाने से पहले हर बात पर गौर करना जरूरी है जिसमें विद्यार्थी का रुझान और उसका एजुकेशन रिकॉर्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
बजाज कहते हैं कि केवल जिद के आधार पर कैरियर तय नहीं हो सकता. बजाज कहते हैं कि केवल मेडिकल में ही प्रवेश हो यह जरूरी नहीं है और साइंस फील्ड के स्टूडेंट के लिए मेडिकल में डॉक्टर बनने के अलावा कई और सेक्टर में भी बेहतर ऑप्शन हैं. जिसमें वेटरनरी डॉक्टर बीएससी फार्मा, एग्रीकल्चर जैसे बड़े फील्ड भी खुले हैं.