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मुख्यमंत्री से प्रदेश कांग्रेस के महासचिव ने पत्र लिखकर की अपील....कहा-रणथंभौर के उस्ताद बाघ टी 24 को भेजा जाए घर

रणथंभौर से 4 साल पहले इस आरोप के साथ बाघ टी 24 जो उस्ताद नाम से भी जाना जाता है उसे अपने परिवार से अलग कर 450 किलोमीटर दूर सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के पिंजरे में वन विभाग ने यह कहते हुए कैद करवा दिया था कि वह नरभक्षी है. अब 4 साल बाद टी 24 उस्ताद के पक्ष में वन्य प्रेमी और राजस्थान कांग्रेस के महासचिव रुपेश कहां से आशा खड़े हुए हैं

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Published : Jul 2, 2019, 12:51 PM IST

मुख्यमंत्री से कांग्रेस के राजस्थान महासचिव ने पत्र लिखकर अपील की

जयपुर. राजस्थान कांग्रेस के महासचिव रुपेश कांत व्यास ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर बाग टी 24 को फिर से रणथंभौर या सरिस्का में शिफ्ट करने की मांग की है. इस पत्र के साथ ही व्यास ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एनटीसीए की अप्रेजल रिपोर्ट और आईवीआरआई बरेली की मेडिकल रिपोर्ट भी सौंपी है, जिसमें बाघ को गलत तरीके से शिफ्ट करने की बात है.

मुख्यमंत्री से प्रदेश कांग्रेस के महासचिव ने पत्र लिखकर की अपील

साथ ही बाग टी 24 के आचरण में भी किसी ऐसे बदलाव को नहीं देखा गया है जिससे कि उसे वनरभक्षी की श्रेणी में रखा जाए. व्यास ने आरोप लगाया कि गैर जिम्मेदार अधिकारियों ने नियम कायदों को ताक में रखकर बिना किसी कारण के बाघ टी 24 कि गलत तरीके से शिफ्टिंग की है. ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कारवाई की जाए.

एनटीसीए की रिपोर्ट में बाग टी 24 को निर्दोष बताते हुए इसकी शिफ्टिंग को नियमों के विरुद्ध बताया है. रिपोर्ट में लिखा है कि बाघ टी 24 की शिफ्टिंग से पहले तत्कालीन वन विभाग के अधिकारियों ने मॉनिटरिंग टीम भी नहीं बनाई. जिसमें चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन का नॉमिनी एनटीसीए का नॉमिनी स्थानीय एनजीओ का प्रतिनिधि और स्थानीय पंचायत का नॉमिनी भी शामिल होता है.

यह था बाघ को शिफ्ट करने का कारण

दरअसल, साल 2015 में रणथंभौर में बाघ के कोर एरिया में एक वनरक्षक का बाघ ने शिकार कर लिया था. हालांकि यह अब तक साफ नहीं हुआ है कि शिकार करने वाला बाग टी 24 था या फिर टी 74 लेकिन वन विभाग ने जल्दबाजी करते हुए टी 24 को इसके लिए जिम्मेदार माना. और उसे नरभक्षी बताते हुए उसकी शिफ्टिंग सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में कर दी. उसके बाद से ही लगातार तमाम प्रयासों के बाद भी बाग टी 24 की शिफ्टिंग अब तक वापस नहीं हो सकी है.

नतीजा यह हुआ कि पिंजरे में बंद बाघ टी 24 जो रोजाना 25 से 30 किलोमीटर चलता था और खुले में शिकार करता था. सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में उसका मूवमेंट कुछ मीटर एंक्लोजर तक ही सीमित हो गया. जिसके चलते उसे मेगा कॉलन बीमारी हो गई और वह ऑपरेशन के बाद मुश्किल से बचा है.

टी 24 की शिफ्टिंग के बाद भी होती रही है घटनाएं बीते 2 साल में आई ऐसी 7 घटनाएं सामने

दरअसल, बाग टी 24 उस्ताद को जिन आरोपों में नरभक्षी करार दिया गया उसमें अंतिम बार हुए हमले पिछले हमले में 3 साल का फर्क था. आरोप है कि वनरक्षक रामपाल का 8 मई 2015 बाग टी 24 ने शिकार किया. लेकिन रामपाल को पता था कि झाड़ियों में बाघ है इसके बावजूद भी हो खतरे को नजरअंदाज कर झाड़ियों में गया. जिसके चलते उस पर बाग टी 24 ने हमला कर दिया.

दोनों घटनाओं में 3 साल का अंतर

इससे पहले 8 मार्च 2012 में अशफाक नाम का व्यक्ति चोरी-छिपे प्रतिबंधित छापा घाटी में लकड़ी काटने गया था. वहां बाघ का विचरण था गलती अशफाक की थी लेकिन T24 को इसके लिए दोषी ठहराया गया. लेकिन इन दोनों घटनाओं में ही 3 साल का अंतर था. ऐसे में सवाल है कि अगर बाग टी नरभक्षी होता तो क्या 3 साल में वह किसी का शिकार नहीं करता.

वहीं बाग टी 24 की शिफ्टिंग के बाद भी ऐसा नहीं है कि वहां बाघ के हमले होने बंद हो गए हैं. बाघ के कोर एरिया में जब भी कोई अनावश्यक प्रवेश करता है तो ऐसी घटना हो जाती है. साल 2015 से अब तक भी करीब 7 बार ऐसी घटनाएं हो चुकी है. ऐसे में बाग के कोर एरिया में अनावश्यक और अनधिकृत प्रवेश करने वालों पर रोक लगाने की वजह बाग को शिफ्ट कर देना एक अत्याचार ही है.

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