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राहुल के पास नहीं अशोक गहलोत से मुलाकात का वक्त - जयपुर

सीएम अशोक गहलोत लोकसभा चुनावों में प्रदेश में पार्टी के एक भी सीट नहीं जीत पाने के बाद से ही राहुल गांधी से मिलने की कोशिश कर रहे हैं. सूत्रों की मानें तो राहुल सीएम गहलोत से इतना नाराज हैं कि उन्हें मिलने का वक्त नहीं दे रहे हैं.

राहुल के पास नहीं अशोक गहलोत से मुलाकात का वक्त

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Published : Jun 10, 2019, 11:08 PM IST

नई दिल्ली:लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार पर पार्टी में अभी भी मंथन जारी है. वहीं, चुनावों से महज पांच माह पहले राजस्थान की सत्ता से वसुंधरा राजे को बेदखल कर सीएम बने अशोक गहलोत आम चुनाव 2019 में पार्टी को एक सीट भी नहीं जिता पाए. सूत्रों की मानें तो पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी गहलोत से मुलाकात भी नहीं कर रहे हैं. उन्होंने आज पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू से मुलाकात की लेकिन दो दिन से दिल्ली में डेरा डाले गहलोत को वक्त नहीं दिया.

गहलोत के प्रति पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की नाराजगी सामने आ चुकी है. राजस्थान में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद भाजपा ने सभी 25 सीटों पर जीत हासिल की. इतना ही नहीं गहलोत जोधपुर से अपने बेटे वैभव तक को नहीं जिता पाए. कांग्रेस कमेटी की बैठक में भी राहुल ने सांकेतिक रूप से गहलोत और एमपी के सीएम कमलनाथ पर निशाना साधा था.

आपको बता दें कि गहलोत तीन बार दिल्ली आ चुके हैं. लेकिन, उन्हें राहुल के घर से बैरंग लौटना पड़ा. गहलोत एक बार फिर पार्टी कार्यालय में प्रबंधन प्रभारी मोतीलाल वोरा से मुलाकात कर जयपुर लौट गए.

दिल्ली से ईटीवी भारत संवाददाता

वहीं, पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मतभेद के बावजूद नवजोत सिद्धू से ना सिर्फ राहुल और अहमद पटेल मिले बल्कि प्रियंका ने भी मुलाकात की. पंजाब में कांग्रेस को भारी जीत मिली है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक गहलोत पर पुत्र मोह में फंसे होने का आरोप लग रहा है. पार्टी में भारी विरोध के बाद भी जोधपुर सीट से उन्होंने अपने बेटे वैभव को टिकट दिलवाया लेकिन वह भी हार गए. इतना ही नहीं अपने बेटे की हार के लिए उन्होंने सचिन पायलट को जिम्मेदार ठहरा दिया.

सूत्रों के मुताबिक राहुल इसलिए भी नाराज हैं कि गहलोत राजस्थान में पार्टी के सूपड़ा-साफ होने के बाद भी राज्य के मुखिया होने बाद भी जिम्मेदारी नहीं ले रहे हैं और ना ही कुर्सी छोड़ना चाहते हैं.

कांग्रेस की भारी हार के बाद राहुल गांधी ने भी इस्तीफा दे दिया. लेकिन, तीनों राज्य में सरकार बनाने के बाद भी हार का सामना करने पर वहां के पार्टी प्रभारी अपना पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं. जब राहुल उनसे मिले उस वक्त प्रियंका और अहमद पटेल भी साथ थे. सूत्रों के मानें तो इस मुलाकात के जरिए राहुल कुर्सी नहीं छोड़ने वाले नेताओं को संदेश देना चाहते हैं.

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