महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी सुमेर सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि जिले में 2,217 आंगनबाड़ी केंद्र स्वीकृत हैं. जिसमें से 2,206 आंगनबाड़ी केंद्र कार्यरत हैं .जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों को दो केटेगरी में बांटा गया है.जिसमें से 251 आंगनबाड़ी केंद्र मिनी आंगनवाड़ी केंद्र हैं. जहां एक आंगनबाड़ी सहायिका कार्यरत हैं.
जिले में1955 आदर्श आंगनवाड़ी केंद्र है. वहां तीन का स्टाफ कार्यरत है. वहां एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एक आंगनबाड़ी सहायिका और एक आशा कार्यरत है. वहीं वेतन मिलने के सवाल पर सिंह ने कहा कि भीलवाड़ा जिले के जितने भी आंगनबाड़ी केंद्र हैं वहां आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 2 माह का वेतन बाकी है. कुछ जगहों पर 3 माह का भी बाकी है.
महिला आंगनबाड़ी सहायिका नवल प्रभा शर्मा ने कहा कि हमें सरकार मात्र 3500 वेतन देती है. जिससे हमारे परिवार का भरण-पोषण नहीं चलता है. हमारी सरकार से यही मांग है कि हमारा वेतन बढ़ाया जाए और नियमित समय पर वेतन का भुगतान किया जाए. जिससे हमारा घर का खर्च चल सके.
वहीं शहर के शास्त्रीनगर के हुसैन कॉलोनी में आंगनबाड़ी सहायिका सुमित्रा देवी ने कहा कि हमारे यहां 15 बच्चे पंजीकृत हैं. जो हमेशा उपस्थित रहते हैं. इनको नियमित समय पर पोषाहार दिया जाता है. साथ ही हमारे को 3 माह से वेतन नहीं मिला है. हमारी सरकार से मांग हैं कि हमारा वेतन भी दूसरे कर्मचारियों की तरह समय पर दिया जाए. अब देखना होगा कि गहलोत सरकार दूसरे विभाग की तरह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी नियमित वेतन दिलवा पाती है या नहीं.