अलवर लोकसभा 2019: सबसे बड़े मुद्दे...कंपनियों में स्थानीय युवाओं को आरक्षण और चंबल का मीठा पानी
अलवर लोकसभा क्षेत्र में वैसे तो अनेक मुद्दे हैं. लेकिन इनमें से कुछ प्रमुख मुद्दे है. इन मुद्दों ने 5 साल जनता को खासा परेशान किया. तो वहीं नेताओं की सभाओं में यह मुद्दे छाए रहे. लेकिन सरकार की तरफ से इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया.
अलवर. बीते 5 साल अलवर की जनता खासी परेशान रही लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे थे जिनके चलते अलवर का विकास पूरी तरह से रुक गया. जैसे ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज, अलवर में चंबल का पानी लाने की योजना, अलवर का ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट, रैपिड रेल व अलवर के उद्योगों में स्थानीय युवाओं को आरक्षण.
यह मुद्दे 5 साल तक नेताओं की सभाओं में चर्चा का विषय रहा. लेकिन सरकार अपनी आंख बंद करके बैठी रही. एनसीआर में आने के बाद भी अलवर में कोई बड़ी योजना शुरू नहीं हुई. तो वहीं अलवर के विकास के लिए सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया.
अलवर की इन प्रमुख योजनाओं व मुद्दों के लिए किसी भी पार्टी की तरफ से कोई खास कदम नहीं उठाए गए. हालांकि 800 करोड़ रुपए की लागत से बने ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज को शुरू करने के लिए कांग्रेस की तरफ से कई बार प्रदर्शन किए गए व पोस्ट कार्ड अभियान चलाया गया. लेकिन वो भी सफल नहीं हो सका. इसके अलावा अन्य मुद्दे केवल खुद ही रहे. कांग्रेस हो या भाजपा किसी भी पार्टी की तरफ से जनता के इन मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.
क्या रहा कारण
इसका बड़ा कारण अलवर के सांसद की तबीयत खराब होना रहा. दरअसल अलवर के सांसद महंत चांदनाथ की चुनाव के कुछ दिन बाद ही अचानक तबीयत खराब हो गई. उसके बाद करीब साढ़े 3 साल तक वो अलवर की जनता से दूर रहे. ऐसे में अलवर की समस्याओं को उठाने वाला संसद में कोई नहीं था.
रैपिड रेल वे एयरपोर्ट को अलवर से शिफ्ट कर दिया गया. लेकिन उस पर भी संसद ने विरोध करने वाला कोई नजर नहीं आया. इसलिए बीते 5 साल अलवर की जनता के लिए खराब रहे. हालांकि महंत चांदनाथ के निधन के बाद 2018 में लोक सभा बाय इलेक्शन हुए. उसमें कांग्रेस के डॉ करण सिंह यादव चुनाव जीते. लेकिन उनके पास समय कम था. इसलिए अलवर को उनका फायदा नहीं मिल सका.